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School in Corona Time: बच्चों को पढ़ाने का इन शिक्षकों ने निकाला प्रेरक तरीका, न नेट की समस्या, न ही मोबाइल का लोचा

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द फॉलोअप टीम, दुमका:

दो ग़ज़ दूर-दूर बैठे बच्चे। चेहरे पर मास्क और हर हाथ सेनेटाइज़्ड। यह दृश्य घर के किसी आंगन का है और गांव की गलियों का भी। किसी पेड़ पर टंगे लाउड स्पीकर से गूंजती आवाज़। जिसके स्वर पकड़ बच्चे कभी कुछ लिखने लगते हैं तो कभी कुछ चुप सुनते जाते हैं। बात दुमका ज़िले के उत्क्रमित मध्य विद्यालय बनकाठी स्कूल की है। जब जभी स्कूल बंद हैं और ऑन लाइन क्लासेस संचालित हो रही हैं, तो यहां कुछ इस तरह शिक्षा का उजियारा फैलाया जा रहा है। 

ऑन लाइन पढ़ाई का साधन नहीं
स्कूल के प्रधानाध्यापक श्याम किशोर सिंह का कहना है कि बनकाठी गांव में सभी के घरों में टीवी नहीं हैं। सब के पास स्मार्टफोन नहीं। कुछ बच्चे मोबाइल से पढाई कर रहे हैं। बाकी जो बच्चे पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं। उनके लिए  बनकाठी विद्यालय के शिक्षकों ने निर्णय लिया कि स्कूल के बच्चों को उनके टोले में जाकर भी  पढायेंगे। लाउडस्पीकर और माइक का इस्तेमाल शिक्षक कर रहे हैं। 

दीवारें बन गईं हैं ब्लैक बोर्ड
प्रधानाध्यक की इस पहल की सभी सराहना कर रहे हैं। दीवारों का सदुपयोग हिंदी और इंगलिश की वर्णमाला के लिए किया गया है। छोटे बच्चे इसका लाभ उठा रहे हैं। वो दीवारों पर लिखे अक्षर और चित्र से शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। हर प्रयोग कारगर साबित हो रहा है। अभी बनकाठी स्कूल में 256 छात्र छात्रायें नामांकित हैं। लेकिन मात्र 33 बच्चों के पास स्मार्ट फोन है। ऐसे में ऑनलाइन शिक्षा देना बहुत ही कठिन कार्य है।