द फॉलोअप टीम, डेस्क:
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने शुक्रवार को प्रेस वार्ता की। उनके साथ आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव भी मौजूद रहे। राजेश भूषण ने प्रेस वार्ता में विश्व स्वास्थ्य संगठन के हवाले से बताया कि ओमिक्रॉन वेरिएंट कोरोना के डेल्टा वेरिएंट के मुकाबले तेजी से फैलता है। कहा कि इसकी संचरण क्षमता ज्यादा है। राजेश भूषण ने बताया कि ओमिक्रॉन के मामले डेढ़ से 3 दिन में दोगुने हो जाते हैं।
कोविड प्रोटोकॉल पर सतर्कता जरूरी
राजेश भूषण ने कहा कि ओमिक्रॉन जितना संक्रामक है, उस लिहाज से हमें कोविड प्रोटोकॉल को लेकर ज्यादा सतर्क रहना होगा। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव से पूछा गया कि ओमिक्रॉन से बचाव के लिए बूस्टर डोज की जरूरत पर सरकार क्या सोच रही है। राजेश भूषण ने जवाब में कहा कि भारत सरकार ने इस बारे में स्थिति स्पष्ट कर दी है। ओमिक्रॉन से बचाव के लिए बूस्टर डोज की जरूरत पर समय, टीकाकरण की अवधि तथा वैज्ञानिक साक्ष्यों के आधार पर फैसला किया जायेगा। तमाम बातों का आकलन करना होगा।
टीकों की प्रभावशीलता की समीक्षा जारी
प्रेस वार्ता में मौजूद आईसीएमआर के डीजी डॉ. बलराम भार्गव ने कहा कि हाल में कोरोना के जितने मामले मिले हैं, उनमें अधिकांश डेल्टा वेरिएंट के हैं। भारत में भी ऐसा है। उन्होंने कहा कि हमें कोविड प्रोटोकॉल के तहत दिनचर्या और टीकाकरण बढ़ाने की समान रणनीति पर साथ-साथ काम करना होगा। उन्होंने कहा कि आईसीएमआर और डीबीटी साथ मिलकर वायरस को कल्चर करने का काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ओमिक्रॉन वेरिएंट के खिलाफ टीकों की प्रभावशीलता के परीक्षण का काम भी जारी है।
बूस्टर डोज पर वैज्ञानिक शोध की प्रतीक्षा
गौरतलब है कि दुनिया के कई देशों में विशेष तौर पर ब्रिटेन और अमेरिका में कोविड टीके का बूस्टर डोज लगाने पर निर्णायक कदम उठाए जा रहे हैं। भारत में भी सवाल पूछा जा रहा है कि क्या नागरिकों को बूस्टर डोज लगाया जाना चाहिए। इस बाबत जब डॉ. बलराम भार्गव से सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि फिलहाल विचार-विमर्श जारी है। नीति बनाने के लिए वैज्ञानिक डेटा की समीक्षा की जा रही है।