द फॉलोअप टीम, रांची
राज्य में 5 साल का पाठ्यक्रम वाला एकमात्र नेशनल यूनिवर्सिटी लॉ कॉलेज ही है। दूसरे कार्यों में सरकार पैसा खर्च कर रही है और एक ख्याति प्राप्त संस्थान के लिए पैसे देने में क्यों पीछे हट रही है। यह एक चिंता का विषय है। झारखंड हाईकोर्ट ने शुक्रवार को सरकार के उस शपथ पत्र को खारिज कर दिया है जिसमें लॉ यूनिवर्सिटी को फंड नहीं देने की बात की गई थी। चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत ने सरकार को नया शपथपत्र पांच फरवरी तक देने का निर्देश दिया है। कोर्ट का कहना है कि इस यूनिवर्सिटी को चलाने के लिए सरकार फंड दे लेकिन सरकार इस पर कोई फैसला नहीं ले रही। सरकार को इस महत्वपूर्ण संस्थान को चलाने की गंभीरता दिखानी होगी।
चीफ सेक्रेट्री को ऑनलाइन हाजिर कराया गया
इसके बाद अदालत ने मुख्य सचिव को तत्काल ऑनलाइन हाजिर होने का निर्देश दिया। मुख्य सचिव के हाजिर होने के बाद कोर्ट ने कहा कि सरकार राज्य के इतने बड़े संस्थान को क्यों नहीं चलाना चाहती है। इसे चलाने के लिए फंड की व्यवस्था क्यों नहीं की जा रही है। कोर्ट के पिछले आदेश, कोर्ट की मंशा और यूनिवर्सिटी के महत्व को देखते हुए सरकार को क्या परेशानी है। मुख्य सचिव ने यह भी कहा कि इस मामले पर सरकार विचार करना होगा और निर्णय से अवगत कराया जाएगा। यह नीतिगत मामला है और कैबिनेट में भी इसे ले जाना होगा। इस पर कोर्ट ने सरकार को पांच फरवरी तत प्रगति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया।
सरकार ने क्या कहा था
सरकार ने शपथपत्र में कहा था कि यूनिवर्सिटी से पैसे की जरूरत बताने को कहा गया है। हर साल सरकार यूनिवर्सिटी को फंड नहीं दे सकती। यूनिवर्सिटी के गठन के समय सरकार को एक मुश्त राशि देनी थी, जो उसे दे दी गयी है। इस पर कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की और कहा कि राशि सरकार को ही उपलब्ध कराना है, यह भी प्रावधान में है। राज्य सरकार आखिर क्यों इस विश्वविद्यालय को नहीं चलाना चाहती है।