द फॉलोअप टीम, रांची:
शराब नीति को चुनौती देने वाली याचिका पर मंगलवार को सुनवाई हुई। 10 मिनट तक चली सुनवाई के बाद कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 16 दिसंबर की तारीख तय की है। मामेल में प्रार्थी पक्ष से अधिवक्ता अजीत कुमार और कुमारी सुगंधा मौजूद रहे। गौरतलब है कि राज्य सरकार की ओर से शराब बिक्री के लिए नयी नियमावली बनाई गई थी। इसे झारखंड रिटेल लिकर वेंडर एसोसिएशन की ओऱ से हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी।
महाधिवक्ता ने कोर्ट में क्या कहा है!
गौरतलब है कि पहले की सुनवाई में महाधिवक्ता राजीव रंजन की ओर से जानकारी दी गई थी कि थोक शराब की बिक्री के टेंडर से पहले गजट में प्रकाशन की बाध्यता नहीं है। जो प्रक्रिया अपनाई गई है वो नियम के मुताबिक है। झारखंड रिटेल लिकर वेंडर एसोसिएशन की ओर से हाईकोर्ट में कहा गया है कि झारखंड उत्पाद अधिनियम-1915 की धारा 20-22 और 38 के मुताबिक लाइसेंस निर्गत कराने के लिए सक्षण पदाधिकारी कलेक्टर होते हैं। नई नियमावली में ये अधिकारी उत्पाद आयुक्त को दिया गया है।
राजस्व पार्षद को मिला ये अधिकार!
बता दें कि अधिनियम की धारा-90 के मुताबिक लाइसेंस निर्गत करने के लिए शर्तों का निर्धारण अथवा नियम बनाने का अधिकार राजस्व पार्षद को दिया गया है। सरकार ने ही सभी नियम बनाये हैं। उक्त नियमावली असंवैधानिक है जिसे निरस्त किया जाना चाहिए।