द फॉलोअप टीम, रांची:
राष्ट्रपति भवन से जारी एक आदेश के मुताबिक 8 राज्यों के राज्यपाल को बदल दिया गया। कई राज्यपालों को नए राज्य की जिम्मेदारी सौंपी गई तो हीं कुछ राज्यपालों को हटा दिया गया है। हटाए गए राज्यपालों में शामिल रहीं झारखंड की द्रौपदी मुर्मू। राष्ट्रपति भवन के आदेश के मुताबिक द्रौपदी मुर्मू की जगह अब त्रिपुरा के राज्यपाल राजेश बैस को झारखंड की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इस मामले में अब विपक्ष की तरफ से विरोध के स्वर उठ रहे हैं।
बन्ना गुप्ता ने द्रौपदी मुर्मू को हटाए जाने पर उठाया सवाल
झारखंड सरकार में स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू को हटाए जाने पर सवाल उठाया है। अपने ऑफिशियल ट्विटर अकाउंट के जरिए किए गए एक ट्वीट में स्वास्थ्य मंत्री ने नाराजगी जाहिर की है। बन्ना गुप्ता ने लिखा कि राज्यपाल महोदया श्रीमती द्रोपदी मुर्मू जी एक व्यवहार कुशल और संवेदनशील राज्यपाल थी। उनको यूं हटाना केंद्र सरकार की आदिवासी और महिला विरोधी मानसिकता को प्रदर्शित करता हैं। आदिवासी और महिला समुदाय की राज्यपाल का रहना झारखंड के लिए गर्व की बात थी फिर इन्हें हटाने का क्या औचित्य हैं?
साल 2015 में झारखंड की राज्यपाल बनी थीं द्रौपदी मुर्मू
गौरतलब है कि द्रौपदी मुर्मू को साल 2015 में झारखंड का राज्यपाल बनाया गया था। तब झारखंड में बीजेपी की सरकार थी। साल 2019 में झारखंड में सत्ता परिवर्तन हो गया। हेमंत सोरेन के नेतृत्व में झामुमो-कांग्रेस गठबंधन की सरकार बनी। हाल ही में ट्राइबल एडवाइडरी काउंसिल के सदस्यों के चुनाव को लेकर हेमंत सरकार और राज्यपाल के बीच ठन गई थी। काफी विवाद भी हुआ था। तब बीजेपी ने कहा था कि हेमंत सरकार राज्यपाल के विशेषाधिकारों पर हस्तक्षेप कर रही है। हालांकि बाद में टीएसी के गठन की पूरी शक्ति मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने हासिल की।
मंगलवार को राष्ट्रपति भवन द्वारा जारी किया गया आदेश
मंगलवार को ही राष्ट्रपति भवन द्वारा आदेश जारी किया गया। साल 2019 में केंद्र में बीजेपी की सरकार बनने के बाद रमेश बैस को त्रिपुरा का राज्यपाल बनाया गया था। साल 1978 में नगर निकाय चुनाव में जीत हासिल कर राजनीतिक पारी की शुरुआत करने वाले रमेश बैस रायपुर लोकसभा सीट से बीजेपी सांसद भी रहे और साल 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में वनमंत्री का काम संभाला। अब उनको झारखंड की जिम्मेदारी संभाला।