द फॉलोअप टीम, रांचीः
विधानसभा के शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन विधायक प्रदीप यादव ने सदन में ई-पॉश मशीन का मुद्दा उठाया। प्रदीप यादव ने कहा कि 2016 से अब तक खाद्य सामग्रियों का वितरण पीडीएस दुकानों में ई-पॉश से होता रहा है। सरकार ने यह मशीन भाड़े पर ले रखी है। इसके एवज में पिछले 5 सालों में 250 करोड़ रुपये का भुगतान भी सरकार संबंधित कंपनी को कर चुकी है।
खराब हो चुकी 50 फीसदी मशीन
कहा कि 50 फीसदी मशीन अब खराब हो चुकी है। एग्रीमेंट के मुताबिक अब खाद्य आपूर्ति विभाग (झारखंड सरकार) मेंटेनेंस के नाम पर कंपनी को 22 करोड़ रुपये का भुगतान हर साल करेगी। वास्तव में अगर सरकार नयी मशीनों की खरीदारी करे तो 40 करोड़ रुपये से भी कम कीमत पर ऐसा संभव है। साथ ही हर साल मेंटेनेंस के नाम पर दिये जाने वाले 10 करोड़ की बचत भी होगी।
बगैर टेंडर ही हुआ था काम
प्रदीप यादव के प्रस्ताव पर जवाब में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि कोरोना के कारण नई मशीनों की खरीद नहीं हो सकी है। अगले वर्ष से सरकार ग्लोबल टेंडर निकलेगी। इस बार बिना टेंडर के ही काम हुआ था। वर्तमान वित्तीय वर्ष में (अप्रैल 2020 से जुलाई 2021 तक) विभाग द्वारा 16 करोड़ 77 लाख 65 हजार 202 रुपये का भुगतान ई-पॉश मशीनों पर खर्च किया जा चुका है। एग्रीमेंट के मुताबिक अगस्त 2021 से चरणवार तरीके से ई-पॉश का स्वामित्व विभाग (खाद्य आपूर्ति) को प्राप्त हो गया है। इसके बाद अब केवल सर्विस सपोर्ट पर ही विभाग द्वारा खर्च किया जाना है।
एक अरब से अधिक का खर्च
सरकार के मुताबिक GeM Portal पर ई-पॉश मशीन की दर 24,910 रुपये प्रति पीस है। यदि इस दर से नया ई-पॉश खरीदा जाता है तो इस पर एक अरब 43 लाख 4216 रुपये की जरूरत होगी।