द फॉलोअप टीम, दिल्ली:
सोमवार यानी कल से संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने जा रहा है। इससे एक दिन पहले यानी रविवार के सर्वदलीय बैठक बुलाई गई ताकि शीतकालीन सत्र की कार्यविधि को लेकर चर्चा की जा सके। सर्वदलीय बैठक को संबोधित करते हुए रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सरकार संसद में स्वस्थ बहस चाहती है। संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने सदन के सुचारू संचालन के लिए सभी पार्टियों से सहयोग मांगा है।
सोमवार से शुरू हो रहा है शीतकालीन सत्र
गौरतलब है कि संसद का शीतकालीन सत्र 29 नवंबर से शुरू होने जा रहा है। सत्र 23 दिसंबर तक चलेगा। पहले ही दिन सरकार द फॉर्म लॉ रिपील बिल-2021 लाएगी जिसका प्रस्ताव कैबिनेट से पास हो चुका है। हालांकि विपक्ष इस मुद्दे को लेकर मोदी सरकार को घेरने का मन बना चुकी है। यही नहीं ,किसानों को मुआवजा और आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज मुकदमों की वापसी भी विपक्ष का प्रमुख मुद्दा होगा। कोरोना का नया स्ट्रेन दस्तक दे चुका है। बीते हालात को देखते हुए विपक्ष सरकार की तैयारियों को लेकर हमलावर रहेगा। महंगाई पर भी सरकार घिरेगी क्योंकि पेट्रोल, डीजल और खाद्य तेल की कीमतें आसमान छू रही है।
एनडीए के घटक दल के नेताओं की बैठक हुई
इस बीच जनतांत्रिक गठबंधन सरकार में शामिल दलों के नेताओं की भी बैठक हुई। बैठक के बाद नेशनल पीपुल्स पार्टी की सांसद अगाथा संगमा ने कहा कि मैंने लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए सरकार से मांग की है कि नागरिकता (संसोधन) अधिनियम-2019 को निरस्त किया जाये। उम्मीद है कि सरकार इस पर सकारात्मक रूप से सोचेगी।
सर्वदलीय बैठक में किस-किस बात पर चर्चा की गई
अन्नाद्रमुक सांसद ए नवनीतकृष्णन ने एनडीए की बैठक में हिस्सा लेने के बाद कहा कि उनकी पार्टी ने केंद्र सरकार को आश्वासन दिया है कि संसद की सुचारू कार्यवाही सुनिश्चित करने में सरकार का पूरा समर्थन करेगी। अन्नाद्रमुक संसद में सरकार के सभी विधेयकों का समर्थन भी करेगी। इस बीच संसदीय कार्यमंत्री अर्जुन मेघवाल ने कहा कि सरकार किसी भी विषय पर चर्चा औऱ बहस के लिए तैयार है। बहस सकारात्मक होनी चाहिए।
एमएसपी पर एक ठोस कानून बनाने की मांग भी
इस बीच वाईएसआऱसीपी सांसद वी विजयसाई रेड्डी ने कहा कि उन्होंने सर्वदलीय बैठक में कई मुद्दों को उठाया। मांग की है कि कृषि कानून के खिलाफ आंदोलन के दरम्यान मारे गए किसानों के परिवारों को उचित और पर्याप्त मुआवजा दिया जाये। उन्होंने कहा कि एक संसदीय समिति द्वारा सभी हितधारकों के साथ चर्चा के बाद एमएसपी पर ठोस कानून भी लाया जाये। गौरतलब है कि ये मांग किसान संगठनों द्वारा भी की जा रही है।