द फॉलोअप टीम, डेस्क:
हेलिकॉप्टर हादसे में देश के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत के आकस्मिक निधन से पूरा हिंदुस्तान स्तब्ध है। घटना की सूचना मिलते ही जनरल रावत के पैतृक गांव भमोरीखाल में शोक की लहर दौड़ गई है। गौरतलब है कि दिवंगत जनरल बिपिन रावत का पैतृक गांव भमोरीखाल, उत्तराखंड के पौढ़ी गढ़वालल जिले में अवस्थित है। कहा जाता है कि जनरल बिपिन रावत के पिता यहीं पैदा हुये। जनरल बिपिन रावत बचपन में पढ़ाई के दौरान छुट्टियों में यहां आया करते थे।
भमोरीखाल है दिवंगत बिपिन रावत का पैतृक गांव
मौजूदा समय में दिवंगत सीडीएस जनरल बिपिन रावत के चाचा भरत सिंह रावत पूरे परिवार के साथ भमोरीखाल में रहते हैं। निधन का समाचार सुनने के बाद चाचा भरत सिंह रावत ने बताया कि वो हमारे बहुत करीब थे। वो यहां जल्दी ही आने वाले थे। चाचा भरत सिंह ने बताया कि जनरल बिपिन रावत के साथ उनकी आखिरी मुलाकात साल 2018 में हुई थी। उन्होंने वादा किया था वो जल्दी ही उनसे यहां मिलने आयेंगे। भरत सिंह रावत ने बताया कि गांव को लेकर भी उनका विजन था।
भमोरीखाल में प्रकृति की गोद में घर का था सपना
एक निजी समाचार चैनल से बातचीत में सीडीएस जनरल बिपिन रावत के चाचा भरत सिंह रावत ने बताया कि उन्होंने कहा था कि सेवानिवृत्ति के बाद पैतृक गांव भमोरीखाल में ही बसना चाहते हैं। यहीं प्रकृति की गोद में रहना चाहते हैं। भरत सिंह रावत ने बताया कि जनरल बिपिन रावत अपने पैतृक घर के पास ही सेवानिवृत्ति के बाद घर बनाना चाहते थे। बकौल भरत सिंह रावत, बिपिन रावत कहा करते थे कि गांव में वे फलदार पेड़ लगाएंगे। इससे लोगों को रोजगार मिलेगा।
भमोरीखाल का विकास करना चाहते थे जनरल रावत
बकौल भरत सिंह रावत, बिपिन रावत सेवानिवृत्ति के बाद पैतृक गांव में घर बनाना चाहते थे। वे चाहते थे कि फलदार पेड़ लगायें। इसके जरिये गांव के लोगों को रोजगार मुहैया करवाना चाहते थे। चाचा भरत सिंह ने बताया कि रोजगार की तलाश में लोगों को गांव से पलायन करते देख कर उनको बहुत दुख होता था। वे गांव से पलायन रोकना चाहते थे। गांव का विकास करना चाहते थे।