द फॉलोअप टीम, रांची:
झारखण्ड की पहचान खनिज के क्षेत्र में अधिक है। लेकिन वर्तमान सरकार का प्रयास है कि देश-दुनिया में झारखण्ड मत्स्य पालकों, पशुपालकों और प्रगतिशील किसानों वाले राज्य के रूप में भी अपनी अमिट छाप छोड़े। यह स्वरोजगार का बड़ा माध्यम हो सकता है और ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करने वाले युवाओं, महिलाओं और किसानों की आजीविका एवं आर्थिक स्वावलंबन का वाहक बन सकता है। झारखण्ड में जलाशयों की कमी नहीं है। ग्रामीणों की सहभागिता से झारखण्ड मत्स्य उत्पादन में अग्रणी राज्य बन सकता है। ये बातें मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने कही। मुख्यमंत्री राष्ट्रीय मत्स्य कृषक दिवस -2021 के अवसर पर ऑनलाइन 24 जिला के मत्स्य पलकों एवं लाभुकों को संबोधित कर रहे थे।
केसीसी से आच्छादित होंगे किसान
मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों को केसीसी का लाभ देने की प्रक्रिया चल रही है। अधिक से अधिक किसानों को इसका लाभ प्राप्त हो। इस निमित कार्य किया जा रहा है। जिला स्तर पर जरूरतमंदों से आवेदन लेने का निदेश दिया गया है। केसीसी नहीं मिलने की परेशानी किसानों ने साझा की। इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि शीघ्र समस्या का हल कर दिया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि बाजार में मछली के प्रकारों की मांग के अनुरूप मत्स्य पालन को बढ़ावा दिया जाएगा। इसके लिए देश के विभिन्न बड़े मछली बाजार का आंकलन किया जा रहा है। सरकार जल्द इसपर अंतिम निर्णय लेकर कार्य करेगी। ताकि किसानों की दक्षता को निखारा जा सके।
संसाधन बढ़ाने की बन रही है योजना
मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रामीण आबादी की आर्थिक समृद्धि के लिए उनके लिए संसाधन जुटाने हेतु योजना पर कार्य हो रहा है। सरकार राज्य के विभिन्न जलस्रोतों, तालाब, जलाशयों का व्यापक उपयोग कर मछली पालन को बढ़ावा देने हेतु कार्य कर रही है। ऐसा कर झारखण्ड मछली उत्पादन में अग्रणी राज्यों की श्रेणी में आ सकता है। झारखण्ड का जनमानस की खेती के साथ-साथ पशुपालन में ऐतिहासिक भूमिका रही है। यही वजह है कि पशुधन योजना लागू की गई, जिससे पशुपालन कर राज्य की ग्रामीण आबादी लाभान्वित हो रही है। मुख्यमंत्री ने लाभुकों से बात करने के क्रम में चाईबासा डीसी को मत्स्य कृषकों के लिए मत्स्य बाजार निर्माण करने का निदेश दिया ताकि मत्स्य पालकों को सुविधा हो। बाजार नवनिर्मित मत्स्य बाजार दुमका के समतुल्य हो। साथ ही, बंद हो चुके खुले खनन क्षेत्र में डीएमएफटी से केज कल्चर और आरएसी को बढ़ावा दें।
खाली पड़े सभी जलाशयों में हो मछली पालन
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने लाभुकों से आग्रह किया कि खाली पड़े सभी जलाशयों में मछली पालन का कार्य करें। सरकार आपको हर तरह से सहयोग करेगी। आपको बता दें कि वर्ष 2020-21 में राज्य में 2 लाख 38 हजार मीट्रिक टन मछली का उत्पादन, चालू वित्तीय वर्ष में 2 लाख 65 हजार मीट्रिक टन मछली उत्पादन का लक्ष्य। स्थानीय स्तर पर मछली के बीज की उपलब्धता हेतु 7500 प्रशिक्षित मत्स्य बीज उत्पादकों के माध्यम से राज्य एक हजार करोड़ मत्स्य बीज के उत्पादन की ओर अग्रसर। वर्ष 2021-22 में 567 लाख मत्स्य अंगुलिकाएं विभिन्न जलाशयों में संचित की जा रही है।
इन परिसंपत्तियों का हुआ वितरण
मछली के जीरा हेतु फीड, बीज उत्पादन हेतु फ्राई कैचिंग नेट, ग्रो-आउट नेट, मछली का स्पान, मछली पालन हेतु बायोफलाक, री- सर्कुलेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम, ई-रिक्शा/ऑटो-रिक्शा के साथ आईस बॉक्स, साईकल के साथ आईस बॉक्स, नाव, मत्स्य बीज उत्पादन हेतु हैचरी, मत्स्य बिक्री स्टॉल वितरण, लघु फिश फीड मिल, आईस प्लांट निर्माण, लाइफ जैकेट और तालाब तालाब निर्माण हेतु अनुदान। इस अवसर पर कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता मंत्री बादल पत्रलेख, मुख्यमंत्री के सचिव विनय कुमार चौबे, सचिव कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता अब्बू बकर सिद्दीकी, निदेशक मत्स्य एच एन द्विवेदी व अन्य उपस्थित थे।