द फॉलोअप टीम, रांची:
कल से पूूरे राज्य में सहायक अभियंता नियुक्ति की मुख्य परीक्षा होने वाली थी। जिसे आज झारखण्ड हाईकोर्ट के जस्टिस एसके द्विवेदी की अदालत में रद्द कर दिया गया है। आज ही आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण देने के मामले में फैसला सुनाया। दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद सहायक अभियंता की नियुक्ति के विज्ञापन को यह कहते हुए रद्द कर दिया कि वर्ष 2019 में जब कानून को लागू किया गया है इसलिए पिछले वर्षों की वेकेंसी को इस आरक्षण का लाभ नहीं दिया जायेगा। ऐसे में कहा गया कि जेपीएससी दोबारा विज्ञापन निकाले। सवर्णो को 10 फीसदी आरक्षण देंने का निर्णय 23 फ़रवरी 2019 को लिया गया था। उसी के अनुसार नियुक्ति के लिए जेपीएससी को अधियाचना भेजी गई थी, लेकिन इस नियुक्ति में वर्ष 2015 और 2016 की वेकेंसी भी शामिल है। जेपीएससी की ओर से अधिवक्ता संजय पिपरवाल व अधिवक्ता प्रिंस कुमार सिंह ने अदालत को बताया कि सरकार की अधिसूचना के अनुसार ही जेपीएससी ने विज्ञापन निकाला है और इसी के अनुसार नियुक्ति की जा रही है।
सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण पिछले साल की वेकेंसी में लागू नहीं होगा
झारखण्ड हाईकोर्ट में गुरूवार को आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण देने के मामले में कहा कि जब वर्ष 2019 में सरकार ने 10 फीसदी आरक्षण देने का निर्णय लिया और कहा की यह नियुक्ति में उसी साल से लागू होगा। पिछले साल की वेकेंसी में ये लागू नहीं होगा। आपको बता दें कि रंजीत कुमार साह ने सहायक अभियंता की नियुक्ति को चुनौती देते हुए अदालत में याचिका दाखिल की थी। इनके अनुसार सहायक अभियंता नियुक्ति वर्ष 2015 से लेकर 2019 तक की है।झारखण्ड लोक सेवा आयोग ने सिविल इंजीनियर और मैकेनिकल इंजीनियर की नियुक्ति के लिए वर्ष 2019 में विज्ञापन निकाला था। इसमें सिविल इंजीनियर के कुल 542 और मैकेनिकल इंजीनियर के 92 पद शामिल थे। इन पदों पर आयोग ने परीक्षा ली थी। इसमें कुल पद के विरुद्ध 15 गुना अभ्यर्थियों को मुख्य परीक्षा में शामिल होने के लिए चयनित किया गया था।