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बारिश में टपकता कच्चा मकान और बदबू से भरा पेयजल, ऐसा है साहिबगंज का दिघी बाड़ी टोला गांव

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द फॉलोअप टीम, साहिबगंज: 

झारखंड गठन को 20 साल हो चुके हैं। तमाम सरकारें अपनी उपलब्धियां गिनाती नहीं थकतीं। दावा किया जाता है कि अब तक लाखों पक्के मकान बन गये। गांव-गांव सड़क औऱ बिजली है। हाल ही में पेयजल और स्वच्छता मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने निर्देश भी दिया था कि प्रत्येक पंचायत में पांच चापाकल लगवाया जायेगा ताकि पेयजल की कमी की समस्या ना हो लेकिन, साहिबगंज जिला का दिघी बाड़ी टोला गांव उन तमाम दावों को मुंह चिढ़ा रहा है। इस गांव के लोग दशकों से मूलभूत सुविधाओं के अभाव से जूझ रहे हैं। गांव में शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल और आवास जैसी मूलभूत जरूरतों का घोर अभाव है।



राक्सो में मूलभूत सुविधाओं का अभाव
साहिबगंज जिला मुख्यालय से 15 किमी दूर बोरियो प्रखंड अंतर्गत राक्शो पंचायत का दिघी बाड़ी टोला गांव अब भी पेजयल, शिक्षा औऱ स्वास्थ्य जैसी सुविधाओं के इंतजार में है। यहां के लोग बीते कई दशको से सरकारी योजनाओं से वंचित हैं। गांव के अधिकांश लोग निरक्षर हैं। बीस परिवारों वाले इस गांव में अधिकांश लोग मजदूरी करते हैं। मजदूरी से इतनी कमाई नहीं होती कि आजीविका के साथ-साथ वे अपने बच्चों का भविष्य भी बुन सकें। गांव में लगभग सभी मकान कच्चे हैं। बारिश में बहुत मुश्किल होती है। गांव में मौजूद एकमात्र कुआं गर्मियों में सूख जाता है। बारिश में जो पानी मिल पा रहा है वो पीने लायक नहीं है। गांव में मौजूद चापाकल भी वर्षों से खराब पड़ा है। ग्रामीणों का कहना है कि कई बार जनप्रतिनिधियो और प्रशासनिक अधिकारियों से गुहार लगाई लेकिन किसी ने भी सुध लेना जरूरी नहीं समझा। 



गांव के प्रति उदासीन है जनप्रतिनिधि
ग्रामीण बुद्धू अंसारी की शिकायत है कि चुनाव के वक्त तो अचानक से उनका गांव महत्वपूर्ण हो जाता है। जनप्रतिनिधि गांव का चक्कर लगाने लगते हैं। वादों और घोषणाओं की झड़ी लग जाती है। मतदान खत्म होते ही गांव को भूला दिया गया है। कई साल बीत गए लेकिन ना तो किसी जनप्रतिनिधि और ना ही प्रशासनिक अधिकारियों ने इस गांव की ओर झांक कर देखा है।  सबीर अंसारी का कहना है कि उनके साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। हमें भी अच्छी शिक्षा, अच्छे स्वास्थ्य, आवास और शुद्ध पेयजल का हक है। ये गांव बोरियो विधानसभा के अंतर्गत आता है। यहां से सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा के लोबिन हेंब्रम विधायक हैं। सरकार उनकी है। बावजूद इसके एक गांव का इतना पिछड़ा होना निश्चित ही दुर्भाग्यपूर्ण है।
 


ग्रामीणों ने दी है आंदोलन की चेतावनी
समीर अंसारी का कहना है कि सरकार को उनके विषय में भी सोचना चाहिए। जनप्रतिनिधियों को आश्वासन देने के बदलने काम करना चाहिए। हमारा वोट भी उतना ही कीमती है जितना किसी सारी सुविधाओं से संपन्न गांव के लोगों का। ग्रामीणों की मांग है कि सभी परिवारों को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ मिले। गांव में डीप बोरिंग कर पेयजल की व्यवस्था की जाये। कुएं को मरम्मत करवाया जाये। ग्रामीणों का कहना है कि यदि उनकी मांगों पर विचार नहीं किया गया तो वे सड़क पर उतरकर आंदोलन करने के बाध्य होंगे।