द फॉलोअप टीम, रांची:
एदार-ए-शरीया झारखंड के नाजिम आला मौलाना कुतुबुद्दीन रिजवी ने कहा कि बहारे शरीयत में 36 किस्म के शहीदों का जिक्र आया है। इसमें(जातुल जम्ब) निमोनिया (टाइफाइड) से, बुखार से, और ताऊन से मरने वालों का भी जिक्र है। कोरोना वबा ताऊन की तरह ही महामारी है। जिसमें निमोनिया (टाइफाइड) का प्रभाव। बुखार और खांसी का भी प्रभाव है। मरीज को ऑक्सिजन की कमी होने लगती है। इसलिए कोरोना से मरने वाले (मुसलमान) को शहादत हासिल होती है। वो शहीद कहलाएंगे। इसलिए कोरोना से मौत होने वालों से घृणा ना करें। उसकी नमाज-ए-जनाजा पढ़ें। मान-सम्मान और एहतराम से उसकी मिट्टी-मंजिल करें। इस दौर में बेसहारों की मदद करें। लावारिस मय्यत के कफन-दफन का इंतजाम करें। मरीजों के इलाज की सही व्यवस्था करते हुवे कोविड-19 प्रोटोकॉल पर अमल करें। यतीम (अनाथ) हो गए बच्चे की हर सम्भव मदद करें। उक्ते सारी बातें आलिमों के वेबिनार में उभरकर सामने आयी हैं।
वेबिनार में ये हुए शामिल
वेबिनार की अध्यक्षता चीफ काजी-ए-शरीयत मौलाना मुफ्ती आबिद हुसैन मिस्बाही ने की। जबकि संचालन नाजिमे आला मौलाना कुतुबुद्दीन रिजवी ने किया। इस ऑनलाइन बैठक में एदार-ए-शरीया उलेमा व मशायख बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना सैयद शाह अलकमा शिबली, मुफ्ती अनवर निजामी मिस्बाही, मुफ्ती एजाज हुसैन मिस्बाही, मुफ्ती फैजुल्लाह मिस्बाही, मुफ्ती गुलाम हुसैन सकाफी, मौलाना अलाउद्दीन कादरी बोकारो, मुफ्ती अब्दुल जलील कादरी व मुफ्ती मोबिन अहमद मिस्बाही हजारीबाग, मुफ्ती शहीदुर रहमान मिस्बाही व मुफ्ती सलीमुद्दीन मिस्बाही दुमका, मुफ्ती रिजवान अहमद धनबाद, मुफ्ती मुजीबुल्लाह पलामू, मौलाना जसीमुद्दीन खान, मौलाना डॉक्टर ताजुद्दीन रिजवी, मुफ्ती इजहार अहमद रामगढ़, मौलाना अबु दानिश राजमहल, डॉक्टर हलीमुद्दीन वारसी, इरशाद अहमद वारिस, प्रो अब्दुल कय्युम अंसारी आदि शामिल हुए।