द फॉलोअप टीम, डेस्क:
केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल को प्राय संवेदनशील इलाकों में पोस्टिंग दी जाती है। चाहे आंतरिक उग्रवाद के रूप में नक्सलवाद या उग्रवाद हो अथवा उत्तरी-पूर्वी राज्यों में सीमापार आतंकवाद, अग्रिम मोर्चे पर केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के जवानों को ही तैनात किया जाता है। कहना गलत नहीं होगा कि सीआरपीएफ के जवान अग्रिम मोर्च पर देश की आतंरिक और बाह्य सुरक्षा के लिए प्राणों का बलिदान करने को तैयार रहते है। सीआरपीएफ ने कुछ आंकड़े जारी किए हैं।
कितने उग्रवादी और आतंकवादी मारे गये
केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल ने बताया कि इस साल अब तक वामपंथी उग्रवाद या नक्सल प्रभावित इलाकों उग्रवादियों के खिलाफ चलाए गए ऑपरेशन में कुल 13 माओवादियों को मार गिराया गया। ऑपरेशन के दौरान 603 माओवादियों को गिरफ्तार किया गया वहीं 486 माओवादियों ने आत्मसमर्पण किया। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल ने बताया कि जम्मू-कश्मीर में इस साल कुल 112 आतंकवादियों को मार गिराया गया। ऑपरेशन के दौरान 135 आतंकवादियों को गिरफ्तार किया गया। 2 आतंकवादियों ने आत्मसमर्पण भी किया है। ये बड़ी कामयाबी है।
उग्रवाद प्रभावित इलाकों में सीआरपीएफ की तैनाती
गौरतलब है कि झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल, तेलांगना और आंध्र प्रदेश के कई जिलों में नक्सलवादी सक्रिय हैं। नक्सल प्रभावित इलाकों में अक्सर सीआरपीएफ की ही बटालियन को तैनात किया जाता है। आतंरिक सुरक्षा के मसले पर सीआरपीएफ देश का सबसे बड़ा अर्धसैनिक बल है। यही नहीं, इनकी तैनाती मेघालय, मिजोरम, सिक्किम और असम के भी उग्रवाद प्रभावित इलाकों में की जाती है। इन इलाकों में हमेशा जोखिम होता है।
जम्मू-कश्मीर में CRPF की 25 कंपनियां तैनात
केंद्रीय रिजर्व पुलिल फोर्स ने बताया कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में हाल ही में नागरिकों की हत्या के मद्देनजर सीआरपीएफ की पांच अतिरिक्त कंपनियों को जम्मू-कश्मीर भेजा जा रहा है। 1 सप्ताह के भीतर इन कंपनियों को वहां तैनात किया जायेगा। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल ने पहले भी जम्मू-कश्मीर में 25 कंपनियां भेजी हैं।
आपसी फायरिंग की घटना में 18 की जान गई
गौरतलब है कि सीआरपीएफ में कभी-कभी आत्मघात की दुखद खबर भी सामने आती है। अभी 2 दिन पहले छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में मरईगुड़ा थानाक्षेत्र अंतर्गत लिंगनपल्ली सीआरपीएफ कैंप में सिपाही रितेश रंजन ने अपने सोये हुए साथियों के ऊपर फायरिंग कर दी। इस घटना में 4 जवान शहीद हो गए जबकि 3 गंभीर रूप से घायल हो गये। कहा जाता है कि सिपाही ने तब तक गोलियां चलाई जब तक उसके एके-47 की मैगजीन खाली नहीं हो गई। सीआरपीएफ ने बताया कि 2019 से लेकर ऐसी 13 घटनाएं हुई है जिसमें 18 जवान हताहत हुए। बात की जाये 2021 की तो इस साल आपसी फायरिंग की पांच घटनाओं में कुल छह लोगों की जान गई।