द फॉलोअप टीम, रांची:
इंडिया इंटरनेशनल ट्रेड फेयर में झारखण्ड पवेलियन में चिरौंजी और इमली खूब पसंद की जा रही है। पवेलियन में लगाई गई स्टालों पर खूब भीड़ देखने को मिल रही है| जिसमें कई स्टालों पर लाह, इमली, चिरौंजी आदि की बिक्री की जा रही है। उद्यम उत्थान समिति के राजेश कुमार के अनुसार अपनी स्टाल पर वो लाह, चिरौंजी और इमली उत्पाद बेच रहे हैं। जिसमें सबसे ज्यादा बिक्री इमली और चिरौंजी की हो रही है। झारखण्ड की चिरौंजी लोगों को खूब पसंद आ रही है। इमली पूरी तरह से शुद्ध है। उसके उत्पादन में वो शुरू से ही पेड़ों के नीचे जाल लगा देते हैं। जिससे उसमें मिटटी लगने की कोई गुंजाइश नहीं रहती, बाद में उसके बीज को निकाल कर उसकी पैकिंग की जाती है। प्रगति मैदान में उनके पास कई व्यापारिक प्रस्ताव भी आया है। राजेश भारत सरकार के एमएसएमई मंत्रालय के प्रोजेक्ट SFURITI के अंतर्गत काम करते हैं। जिसमे उन्हें टेक्नीकल सपोर्ट फाउंडेशन ऑफ़ एमएसएमई झारखण्ड सपोर्ट रहता है। उनकी समिति में 500 आदिवासी महिलायें काम करती हैं।
झारखण्ड लाह के उत्पादन में पहले स्थान पर है। सबसे ज्यादा लाह खूँटी जिले में पाया जाता है। लाह का प्रतिवर्ष उत्पादन लगभग 110 टन है। जिससे प्रदेश के लगभग चार लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार प्राप्त होता है। लाह का निर्यात मलेशिया, ब्रिटेन, जापान, पाकिस्तान आदि देशों को किया जाता है।पवेलियन में लाह के कई उत्पादों की बिक्री की जा रही है। जिसमें चूड़ियां, चूडीदान, डोरबेल, मूर्तियाँ आदि शामिल है।
प्रदेश चीरौंजी उत्पादन में देश में दूसरा स्थान रखता है। गुमला, सिमडेगा, चक्रधरपुर, चाईबासा आदि जिले चिरौंजी के लिए मशहूर है। चिरौंजी के उपयोग से इलनेस, डाइबिटीज, स्किन, डाइजेस्टिव प्रोब्लेम्स में सहायता मिलती है। प्रदेश में प्रतिवर्ष लगभग 5000 टन चिरौंजी का उत्पादन होता है। इस व्यवसाय में आठ लाख से अधिक लोग लगे हुए हैं। वहीं इमली गुमला, सिमडेगा, खूंटी आदि जिलों में अधिक पाई जाती है। फरवरी से मार्च के बीच मिलती है।