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लातेहार में दिव्यांग से पीएम आवास योजना के नाम पर ठगी, DC से की कार्रवाई की मांग

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गोपी कुमार सिंह, लातेहार: 

यूं तो सरकार और जिला प्रशासन मनरेगा योजना का लाभ उठाकर ग्रामीणों से रोजगार से जुड़ने एव स्वावलंबी बनाने का वादा करती है। सरकार इसी मनरेगा योजना के तहत गांव के ग्रामीणों को पलायन करने से रोकने के लिए भी प्रयासरत है। ऐसा दावा प्रशासन का है, लेकिन इन योजनाओं में भ्रष्टाचार का आलम क्या है इस रिपोर्ट के माध्यम से जानकारी देने का कोशिश कर रहे है।

आवास योजना के लाभुक से की गई ठगी
दरअसल लातेहार जिले के बरवाडीह प्रखंड अंतर्गत छिपादोहर पंचायत से एक ऐसे शख़्स से पीएम आवास के नाम पर पैसे की ठगी कर ली गयी है जिसे खुद सरकार और प्रशासन के मदद की जरूरत है। पूरा मामला छिपादोहर पंचायत के खैरहीटोला का है जहां पीएम आवास की लाभुक फुलेश्वरी देवी ने 6 हज़ार रुपये की ठगी करने का आरोप स्वंयसेवक अनिल उरांव एवं सुनील राम पर लगाया है। हालांकि इस मामले को लगभग 9 महीने से अधिक का समय बीत गया है। मामले का खुलासा तब हुआ है जब स्वंय सेवक के द्वारा कुछ महीने के बाद फिर से पैसे की मांग की जाने लगी।

स्वंय-सेवकों ने लाभुक से ले लिया पैसा
पीएम आवास की लाभुक फुलेश्वरी देवी ने द फॉलोअप से बताया कि लगभग 9 महीने पहले मेरे नाम पर पीएम आवास योजना की स्वीकृति मिली थी। जैसे ही आवास का पहला किश्त खाते में आया, स्वंय सेवक अनिल उरांव एवं सुनील राम मेरे घर पहुंचे और कहने लगे कि जल्दी-जल्दी आवास का काम करा देंगे और दूसरी किश्त भी जल्दी भेजवा देंगे। उसके लिए 6 हजार रुपये देने होंगे। फुलेश्वरी आगे बताती हैं कि जानकारी के अभाव में हम लोग इन ठगों के झांसे में आ गए।चूं कि घर मे एक भी ऐसा सदस्य नहीं है जो शिक्षित हो और उसे इन चीजों की समझ हो। लिहाज़ा हमने खाते से पैसे निकालकर स्वंयसेवक को दे दिए।

बरवाडीह बीडीओ ने लाभुक से मुलाकात की
फुलेश्वरी ने बताया कि बाद में दोबारा पैसे की मांग करने पर हम लोगों ने इसकी जानकारी आस-पास के कुछ लोगों को दी तब जाकर इस मामले का खुलासा हुआ। बाद में बरवाडीह बीडीओ राकेश सहाय खुद घर पर पहुंचे थे और मामले की जानकारी ली थी। उन्होंने पीएम आवास के नाम पर हुए उगाही को ग़लत बताते हुए पैसा वापस दिलवाने का आश्वासन दिया था, लेकिन अब तक इस मामले पर बीडीओ की कोई प्रतिक्रिया नही आई है। यहां बीडीओ की भी कार्यशैली संदेश के घेरे में है। चूंकि पीएम आवास के नाम पर उगाही करने वाले कर्मियों पर तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए थी, लेकिन कोई कारवाई अब तक नहीं हुई है तो बीडीओ की कार्यशैली पर भी सवालिया निशान खड़ा होता है। 

लाभुक के पति हो गये दुर्घटना का शिकार
बहरहाल इस पूरे प्रकरण की अहम कड़ी को भी समझ लीजिए। दरअसल फुलेश्वरी देवी के पति कुलेश्वर सिंह पिछले डेढ़ साल से एक चारपाई पर पड़े हुए है। घर के पास ही लगे पेड़ से मूंगा तोड़ने के क्रम में कुलेश्वर सिंह पेड़ से गिर गए थे, जिससे वो दिव्यांग हो गये। मतलब उठने और चलने में पूरी तरह असमर्थ है। कई अस्पतालों में इलाज करवाया है, लेकिन वो ठीक नहीं हो पाए। डॉक्टरों ने बताया कि वो कभी ठीक नहीं हो सकते हैं। कुलेश्वर सिंह के ऊपर 3 बेटों और पत्नी की जिम्मेदारी है, लेकिन जब से उनके साथ यह हादसा हुआ है घर की माली हालत बेहद खराब है। विडंबना देखिये की ऐसे शख्स से प्रखंड कर्मियों ने 6 हजार रुपये ऐंठ लिए है, जिसे ख़ुद दूसरों से मदद की उम्मीद है। 

कुलेश्वर सिंह का नहीं हो रहा है सही इलाज
मिली जानकारी के मुताबिक बीडीओ राकेश सहाय जब कुलेश्वर सिंह के घर पहुंचे थे तब कुलेश्वर सिंह ने इलाज़ के लिए मदद की गुहार लगाई थी, लेकिन बीडीओ राकेश सहाय का आश्वासन भी कोरा ही साबित हुआ। पत्नी फुलेश्वरी देवी बताती हैं कि राशनकार्ड के माध्यम से मिलने वाले अनाज से पेट की भूख तो मिट जाती है, लेकिन आगे का जीवन व्यतीत करना काफी मुश्किल है। तीन छोटे बच्चे है उनका भविष्य खराब हो सकता है। सबसे बड़े लड़के को महज 16 साल की उम्र में ही कमाने के लिए बाहर जाना पड़ गया है। इससे ज्यादा दुर्भाग्य की बात हम गरीबों के लिए क्या ही हो सकती है। दूसरा बेटा जितेंद्र कुमार जिसकी उम्र 10 साल है वो रेजा कुली का काम करता है। 

गरीबों को नजरअंदाज करता है सिस्टम
अब आप अंदाजा लगा सकते हैं कि सिस्टम कैसे गरीबों को नजरअंदाज करती है। अगर प्रशासन से कुलेश्वर सिंह को थोड़ी भी मदद मिल जाएगी तो शायद वो ठीक हो सकता है। कुलेश्वर सिंह ने द-फॉलोअप से बातचीत में बताया कि पीएम आवास के नाम पर जो 6 हज़ार रुपये स्वंय सेवक के द्वारा लिया गया है। उसकी लिखित शिकायत बनाकर कई दिनों से तकिये के नीचे रखा हूं, लेकिन चलने में पूरी तरह असमर्थ हूं तो प्रखंड कार्यालय तक नहीं जा पा रहा हूं। बीडीओ साहब यहां आए थे तो इलाज़ के लिए मदद और जो पैसे की ठगी हुई है उस पर कारवाई करने का आश्वासन दिया था। कोई कार्रवाई नही हुई है। इस पूरे मसले पर द फॉलोअप ने स्वंय सेवक अनिल उरांव से बात की। उसने बताया कि लाभुक से कोई पैसा नही लिया है। आवास का निर्माण कार्य करा रहे ठेकेदार ने हमें खुशी से पैसा दिया था। बाद में ठेकेदार को ही वापस कर दिया। जबकि आवास का निर्माण करा रहे छिपादोहर निवासी मदन सिंह ने बताया कि मैंने कोई पैसा किसी को नहीं दिया है और जब पैसा दिया ही नही है तो वापस लेने की बात ही नही है।

फुलेश्वरी देवी से छह हजार रुपये की ठगी
मुझे यह जानकारी मिली थी कि फुलेश्वरी देवी से 6 हज़ार रू की ठगी स्वंय सेवकों ने की है। इस मामले से मेरा कोई लेना-देना नही है। यहां जानकारी देते चलें कि उक्त दोनों स्वंय सेवको पर कमोबेश हर पीएम आवास के लाभुक से पैसे लेने का आरोप है, जिसका जिक्र कुलेश्वर सिंह के लिखित आवेदन में भी है। यह अलग बात है कि विकलांगता से मजबूर पड़े कुलेश्वर सिंह का आवेदन उनके ही तकिए के नीचे धूल फांक रहा है। इस संबंध में बीडीओ राकेश सहाय ने द फॉलोअप को बताया कि स्थानीय नेता है जो इस पर राजनीति कर रहा है। यहां उन्होंने किसी के नाम या पार्टी का जिक्र नही किया है। आगे कहा कि यह 3 साल पुराना मामला है जिसे अब उठाया जा रहा है। 

प्रखंड विकास पदाधिकारी का मामले में पक्ष
प्रखंड विकास पदाधिकारी ने कहा कि इस संबंध में कुछ भी स्पष्ट नहीं कहा जा सकता है। उन्होंने कहा कि मैं खुद लाभुक के घर गया था उन्होंने मुझे इसकी जानकारी दी है। प्रखंड विकास पदाधिकारी ने द फॉलोअप से कहा कि आपको सही जानकारी नही दी गयी है। आप आवेदन भेज दीजिए जो आपके पास है। बहरहाल द फॉलोअप के माध्यम से ही सही लेकिन कुलेश्वर सिंह की लिखित फरियाद बीडीओ राकेश सहाय तक पहुंच गयी है। कुलेश्वर सिंह ने इस पूरे मामले की जांच कर कारवाई करने की मांग की है। साथ ही कुलेश्वर सिंह ने अपने इलाज़ के लिए भी डीसी अबू इमरान से मदद की गुहार लगाई है।