द फॉलोअप टीम, दिल्ली:
भारत को कोरोना महामारी से जंग में ब्रिटेन से प्रेरणा लेनी चाहिए। ऐसा मानना है स्वास्थ्य विशेषज्ञों का। कहा जा रहा है कि जिस तरीके से ब्रिटेन ने कोरोना महामारी पर विजय हासिल की भारत को भी वही मॉडल अपनाना होगा। भारत में कोरोना की दूसरी लहर की शुरुआत की तिथि 15 अप्रैल मानी जा रही है। उस वक्त भारत में पॉजिटिविटी रेट 1.6 फीसदी थी। अप्रैल में ये बढ़कर 20 फीसदी तक पहुंच गयी है।
भारत में रोजाना 3 लाख से ज्यादा मरीज
भारत में रोजाना 3 लाख से ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं। हालात यही रहे तो कुछ दिनों में रोजाना पांच लाख से ज्यादा संक्रमित मिल सकते हैं। इसे कैसे रोका जा सकता है। सबके मन में यही सवाल है। इस मामले में विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को ब्रिटेन का मॉडल अपनाना होगा। सही ट्रेसिंग, टेस्टिंग और ट्रीटमेंट से ही महामारी से जंग जीती जा सकती है। आखिर क्या है ब्रिटेन मॉडल।
जनवरी की शुरुआत में ब्रिटेन में लॉकडाउन
पिछले साल के आखिरी सप्ताह तक ब्रिटेन में रोजाना लाखों केस सामने आ रहे थे। जनवरी की शुरूआत में ही ब्रिटेन ने सख्त लॉकडाउन लगा दिया। मास्क नहीं पहनने वालों के खिलाफ सख्ती बरती गयी। भारी जुर्माना वसूला गया। एक साथ 6 से ज्यादा व्यक्तियों के इकट्ठा होने पर पाबंदी लगा दी गयी। बच्चों पर भी यही नियम लागू किया गया। टेस्टिंग बढ़ाई गयी। अस्पतालों में मरीज का दबाव कम करने के लिए केवल अति गंभीर श्रेणी के मरीजों को ही भर्ती किया गया।
ब्रिटेन में रोजाना केवल 3 हजार संक्रमित
ब्रिटेन सरकार द्वारा किए गए प्रयासों का नतीजा दिखा। जब पूरे देश में लॉकडाउन लगा गया उस समय तक वहां रोजाना 60 हजार से ज्यादा संक्रमित मिल रहे थे। मौत में 20 फीसदी तक की वृद्धि हो चुकी थी। सख्त लॉकडाउन का परिणाम ये हुआ कि वहां अब रोजाना केवल 3 हजार केस मिल रहे हैं। मृत्यु दर काफी कम हो चुका है। लगभग शून्य के बराबर। कहा जा रहा है कि वहां कोरोना नॉर्मल फ्लू से ज्यादा नहीं रह गया। केवल कोरोना ब्रिटेन में घातक क्यों नहीं है।
वैक्सीनेशन पर ब्रिटेन का सराहनीय प्रयास
ब्रिटेन ने नागरिकों के वैक्सीनेशन पर ध्यान दिया। वैक्सीन का दूसरा डोज लेने की समय सीमा बढ़ाकर 1 माह से तीन माह कर दी गयी। अवधि बढ़ाने से आपूर्ति संकट का हल निकला। तेजी से पहला डोज ज्यादा से ज्यादा नागरिकों को लगाया गया। इससे लोगों में कोरोना से लड़ने की क्षमता विकसित हो गयी। अधिकांश लोगों के लिए वायरस केवल नॉर्मल फ्लू ही रह गया। मौत का आंकड़ा काफी घट गया। भारत को भी यही प्रयास करना होगा। वैक्सीनेशन बढ़ाना होगा। लॉकडाउन भी जरूरी है।