द फ़ॉलोअप टीम, रांची:
विचलित करने वाली यही तस्वीर बोकारो से आई है। हजारी बस्ती निवासी चक्रधर प्रसाद सड़क किनारे पैदल ही चल रहे थे। गिरिडीह की ओर से आ रही कार ने उन्हें गोमिया-कठारा रोड पर टक्कर मारी, खून बहा और उनके प्राण पखेरु हो गए। आक्रोशित ग्रामीणों ने करीब 3 घंटे तक सड़क जाम कर दिया। पुलिस आई। समझा-बुझाकर जाम हटवाया। चालक भी गिरफ्तार हो गया। घटना मंगलवार की है। ऐसी तस्वीरें रोज सामने आ रही हैं। लेकिन हादासे थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। सरकार और प्रशासन एक जन जागरूकता अभियान चलाकर फर्ज की इतिश्री समझ लेती है। लेकिन सामाजिक पहल इस दिशा में नहीं होती। हम सड़क पर पहुंच किसी रेस में शामिल क्यों हो जाते हैं।
हर दिन 500 के करीब सड़क हादसे
संसद में पेश सरकारी आंकड़ों के मुताबिक साल 2014 से 2019 में, जनवरी से जून महीने तक औसतन 2,48,000 सड़क दुर्घटनाएं (Road Accident) दर्ज की गई थीं। साल 2020 के पहले छह महीनों में 56,288 लोगों को सड़क हादसे में जान गवांनी पड़ी। औसत हर दिन 500 के करीब सड़क हादसे होते हैं।
लॉकडाउन में 35 प्रतिशत की कमी
कोरना लॉकडाउन के कारण वाहन सड़कों पर चले नहीं। इस वजहकर भारत में सड़क दुर्घटनाओं में 35 प्रतिशत की कमी आई थी। पिछले छह महीने (जनवरी से जून) में 1,60,000 सड़क दुर्घटनाएं हुईं। जबकि पिछले साल पहले छह महीनों में यह आंकड़ा करीब 79 प्रतिशत था। अप्रैल से जून तक पहले छह महीने में सड़क दुर्घटनाओं का आंकड़ा करीब 51 प्रतिशत कम हुआ। 2019 के आंकड़े से यह 20,000 तक कम है।