द फॉलोअप टीम, रांची:
झारखंड राज्य के संपूर्ण उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों के शत-प्रतिशत विद्यालयों में स्थायी प्रधानाध्यापक नहीं हैंं। प्रभारी प्रधानाध्यापक के लिए जारी अधिसूचना में कई तरह की त्रुटियां हैं। इसे सचिव स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग रांची ने जारी किया है। पूर्व शिक्षा मंत्री और कांग्रेस के विधायक बंधु तिर्की ने जारी अधिसूचना को स्थगित करने की मांग की हैं। वहीं +2 उच्च विद्यालयों में प्रधानाध्यापक पद के लिए माध्यमिक शिक्षकों को प्राथमिकता दिए जाने का आग्रह किया है। इस संबंध में उन्होंने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है।
मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में कहा
मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में उन्होंने कहा है कि राज्य में जितने भी +2 विद्यालय संचालित हैं, वह माध्यमिक विद्यालय को उत्क्रमित कर चलाए जा रहे हैंं। माध्यमिक विद्यालय में प्रधानाध्यापक का पद सृजित हैं जबकि + 2 शिक्षक के लिए प्रचार्य का पद सृजित नहीं है। पीजीटी शिक्षक राज्य कैडर का होता है, जबकि माध्यमिक शिक्षा जिला कैडर का होता है। दोनों को साथ मिलाकर वरीयता देखने का कोई प्रावधान नहीं है तो फिर दोनों में वरीयता निर्धारण करना ही गलत है। प्रधानाध्यापक का पद केवल उच्च विद्यालयों में नियुक्त शिक्षकों की सेवा शर्त नियमावली में वर्णित है जबकि पीजीटी शिक्षकों के सेवा शर्त नियमावली में नहीं है। प्लस टू विद्यालय के शिक्षक प्राचार्य बनने की योग्यता रखते हैं ना कि प्रधानाध्यापक। प्रधानाध्यापक का पद खाली होने पर भी यह प्रभारी प्रधानाध्यापक कैसे बन पाएंगे?
कई सवाल उठाए
बंधु ने कहा कि अविभाजित बिहार राज्य के समय से ही उच्च विद्यालयों में जहां प्लस टू की पढ़ाई होती थी। आज तक प्रधानाध्यापक एवं प्रभारी प्रधानाध्यापक उच्च विद्यालय में नियुक्त योग्यताधारी शिक्षक बनते आए हैं ना कि पीजीटी शिक्षक। उक्त अधिसूचना के लागू होने से 30 वर्ष कार्य अनुभव रखने वाले वरीयतम उच्च विद्यालय के शिक्षक 5 वर्ष कार्य किए पीजीटी जो विषम वर्गीय हैं के अंदर में कार्य करने को मजबूर होंगे। जैसे 1987 में नियुक्त मारवाड़ी प्लस टू उच्च विद्यालय रांची की शिक्षिका मोनिका मंडल, 2012 में नियुक्त पीजीटी शिक्षक आशीष कुमार के अंडर में कार्य करने को मजबूर है।