द फाॅलोअप टीम, नई दिल्ली
पाकिस्तान के साथ 1971 के युद्ध के दौरान अपनी खुखरी से 8 पाकिस्तानी सैनिकों को मौत के घाट उतारने वाले नेपाली मूल के लांस नायक हवलदार, दिल बहादुर छेत्री को भारतीय सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने नेपाल में सम्मानित किया। सेना की नौकरी छोड़ने के बाद से बेहद गरीबी झेल रहे सिपाही को नरवणे ने 10 लाख रुपये की आर्थिक सहायता भी दी।
1971 की लड़ाई में 8 पाकिस्तानी सैनिकों को उतारा था मौत के घाट
पाकिस्तान के साथ 1971 के युद्ध में गोरखा फ्रंटियर फोर्स की 45 बटालियन पाकिस्तान के खिलाफ पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में सिलहट की ओर आगे बढ़ रही थी। इसी फ्रंटियर फोर्स ने ब्रिटिश युग के दौरान अफगान सीमा पर लंबे समय तक सेवा की थी। राइफलमैन दिल बहादुर छेत्री की बटालियन को एटग्राम में अच्छी तरह से दुश्मन की पोस्ट को साफ करने का विशिष्ट कार्य दिया गया था। राइफलमैन दिल बहादुर छेत्री (बाद में एलएनसी हवलदार) ने अपनी परवाह न करते हुए निडर होकर लड़ाई की। उन्होंने अपनी खुखरी से दुश्मन के आठ सैनिकों को मार डाला और एमएमजी पोस्ट पर कब्जा कर लिया।
महावीर चक्र से सम्मानित हैं छेत्री
अपने विशिष्ट वीरता और कर्तव्य के प्रति समर्पण के लिए उन्हें बाद में महावीर चक्र से सम्मानित किया गया। बहादुर एलएनसी हवलदार दिल बहादुर छेत्री को आवश्यक पेंशन योग्य सेवा तक पहुंचने से पहले व्यक्तिगत कारणों से नौकरी छोड़नी पड़ी। उन्हें 8 अप्रैल, 1976 को सेवा से छुट्टी दे दी गई थी।
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नेपाल के देरदराज गांव में रहते हैं छेत्री
तब से वह नेपाल में बांके जिले के एक छोटे से दूरदराज के गांव में बहुत मामूली जीवन व्यतीत कर रहे हैं। सेना की सेवा छोड़ने के बाद उनकी कोई बड़ी आय नहीं थी और वीरता पुरस्कार भत्ते पर जीवित रहे। उनकी इस हालत के बारे में तब खुलासा हुआ जब उनकी यूनिट के एक वरिष्ठ अधिकारी ने डिफेंस विंग को सूचित किया। भारतीय सेना प्रमुख नरवणे को नेपाल यात्रा के दौरान दिल बहादुर छेत्री के बारे में पता चला तो उन्होंने सम्मानित करने के साथ ही 10 लाख रुपये की आर्थिक सहायता भी दी।