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कोरोना को 'जैविक हथियार' के रूप में इस्तेमाल पर विचार कर रहा था चीन! अमेरिका का दावा

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द फॉलोअप टीम, डेस्क: 
कोरोना वायरस और वैश्विक कोरोना महामारी को लेकर चीन हमेशा शक के दायरे में रहा है। कई महामारी विशेषज्ञ और वायरोलॉजिस्ट कह चुके हैं कि कोरोना वायरस प्राकृतिक वायरस नहीं है बल्कि इसे किसी लैब में विकसित किया गया है। सवाल ये भी उठता है कि यदि चीन की भूमिका नहीं है तो कैसे वहां महज 6 महीने में हालात सामान्य हो गए जबकि पूरी दुनिया बीते 2 वर्षों से संघर्ष कर रही है। ब्रिटिश अखबार द सन की रिपोर्ट के मुताबिक चीन की भूमिका संदिग्ध है। 



कोरोना वायरस की उत्पत्ति पर नया खुलासा
अब कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर नया खुलासा हुआ है। नई रिपोर्ट में जो बातें दर्ज है उससे चीन पर शक और भी ज्यादा गहरा जाता है। ये रिपोर्ट 2015 की है। जब पूरी दुनिया कोरोना वायरस के नाम से भी अनजान थी तब चीन में कोरोना वायरस को हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने की चर्चा की जा रही थी। टेस्टिंग की जा रही थी। इसे जैविक हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने की बात की जा रही थी। 



संयुक्त राष्ट्र अमेरिका के हाथ लगे नए दस्तावेज
संयुक्त राष्ट्र अमेरिका के हाथ लगे रिपोर्ट में ये भी जानकारी है कि चीनी वैज्ञानिकों ने भविष्यवाणी की थी कि तीसरा विश्व युद्ध जैविक हथियार से लड़ा जायेगा। यहां जिस जैविक हथियार की बात की जा रही थी वो कोरोना वायरस ही था। अमेरिकी विदेश विभाग के हाथ लगे दस्तावजों के हवाले से मीडिया रिपोर्ट्स में ये दावा किया गया है। अमेरिकी विदेश विभाग के हाथ लगे इन दस्तावेजों को बॉम्बशेल यानी विस्फोटक जानकारी कहा जा रहा है। दावा है कि ये पीएलए का किया धरा है। 

द ऑस्ट्रेलियन ने छापी है विस्तृत रिपोर्ट
ब्रिटेन के अखबार द सन ने ऑस्ट्रेलिया के समाचार पत्र द ऑस्ट्रेलियन के हवाले से लिखा है कि अमेरिकी विदेश विभाग के हाथ लगा ये दस्तावेज बॉम्बशेल यानी विस्फोटक जानकारी वाला है। इस रिपोर्ट से पता चलता है कि चीनी सेना पीएलए के कमांडर्स कोरोना वायरस को बतौर जैविक हथियार इस्तेमाल करने के बारे में कुटिल पूर्वानुमान लगा रहे थे। ये दस्तावेज साल 2015 में चीन के सैन्य वैज्ञानिकों और चीन के स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा लिखा गया था। उस समय कोविड की जांच की जा रही थी। 

चीनी सैन्य वैज्ञानिकों के बीच थी चर्चा
अमेरिका के हाथ लगे इस रिपोर्ट के मुताबिक चीन के सैन्य वैज्ञानिकों ने सार्स कोरोना वायरस की चर्चा जेनेटिक हथियार के नए युग के रूप में की थी। कोविड महामारी इसका उदाहरण है। पीएलए के दस्तावेजों में इस बात की भी चर्चा की गयी है कि जैविक हमले से दुश्मन की स्वास्थ्य व्यवस्था को ध्वस्त किया जा सकता है। इसमें अमेरिकी वायुसेना के कर्नल माइकल जे का भी जिक्र किया है जिन्होंने अपनी स्टडी में आशंका जताई थी कि तीसरा विश्व युद्ध जैविक हथियार से लड़ा जायेगा। 

चीनी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने किया खारिज
चीन के हाथ लगे दस्तावेजों में इस बात की भी जिक्र मिलता है कि कोरोना वायरस को कृत्रिम रूप से बदला जा सकता है। इसे मानव में बीमारी पैदा करने वाले वायरस के रूप में बदला जा सकता है। इसका इस्तेमाल ऐसे हथियार के रूप में किया जा सकता है जिसे दुनिया में पहले कभी नहीं देखा गया। जानकारी के मुताबिक इस दस्तावेजों में चीन के शीर्ष स्वास्थ्य अधिकारियों का लेख है। कोरोना महामारी की शुरुआत नवंबर 2019 में चीन से हुई। अब पूरी दुनिया में तबाही मचा रहा है। 



महामारी पर चीन की भूमिका काफी संदिग्ध
जब से नया खुलासा हुआ है लोग चीन की भूमिका को संदिग्ध नजरिए से देखने लगे हैं। ऑस्ट्रेलियाई नेता जेम्स पेटरसन ने कहा कि इन दस्तावेजों ने कोरोना वायरस की उत्पत्ति के बारे में चीन की पारदर्शिता को लेकर संदेह और चिंता पैदा कर दिया है। हालांकि चीन के अखबार ग्लोबल टाइम्स ने इस लेख को प्रकाशित करने को लेकर द ऑस्ट्रेलियन की आलोचना की है। चीन का कहना है कि ये विश्व में चीन की छवि को खराब करने की मुहिम का हिस्सा है।