द फॉलोअप टीम
रांची-कोरोना की रोकथाम को लेकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपनी हर कोशिश कर रहे हैं और यही कारण है कि महाराष्ट्र और दिल्ली सहित दूसरे राज्यों के मुकाबले झारखंड में कोरोना संक्रमण की रफ्तार कम है। जाहिर तौर पर मुख्यमंत्री द्वारा सही समय पर लिए गए सही फैसले का ही ये नतीजा है। एक तरफ मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सही समय पर सही निर्णय लिया, वहीं दूसरी तरफ इस महामारी में फंसे श्रमिक मजदूरों को भी सही समय पर सही सलामत उनके घर तक पहुंचाने का भी क्रिडेट उन्हें जाता है। ऐसे में तमिलनाडु के कन्याकुमारी में फंसे 59 आदिम जनजाति के लोगों ने झारखंड सरकार से मदद की गुहार लगाई है।
क्या है पूरा मामला ?
झारखंड के आदिम जनजाति के 59 लोगों ने झारखंड सरकार से वापस बुलाने के लिए गुहार लगाई है । ये वही लोग हैं जो अचानक लॉकडाउन होने के कारण तमिलनाडु के कन्याकुमारी में ही फंस गए हैं और अब काम ना होने के कारण इनकी स्थिति दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है। अब घर चलाना काफी मुश्किल होता जा रहा है। ऐसे मे झारखंड सरकार से वापसी की गुहार लगाई है । सूचना के मुताबिक इनमें से अधिकतर लोग संताल परगना के पहाड़िया समुदाय से ताल्लुक रखते हैं।
एक्शन में झारखंड सरकार
जैसे ही झारखंड सरकार को कन्याकुमारी में फंसे लोगों की खबर मिली। झारखंड सरकार एक्टिव हो गई। खबर है कि इस संबंध में झारखंड सरकार के अधिकारियों ने तमिलनाडु सरकार के अधिकारियों से बातचीत भी की है। झारखंड सरकार रणनीति बना रही है कि कैसे पहाड़ियां लोगों को झारखंड वापस बुलाया जाय। इस पर होने वाला सारा खर्च झारखंड सरकार उठाएगी। इसके लिए वहां के स्थानीय प्रशासन से व्यवस्या का आग्रह किया गया है। उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही सभी आदिम जनजाति के लोग अपने घर वापसी करेंगे।