द फॉलोअप टीम, इंदौर:
देश में कोरोना संक्रमण (Corona infection) के बाद अब ब्लैक फंगस (Black fungus) लोगों के लिए विपदा बनती जा रही है। जितनी तेजी से यह संक्रमण बढ़ता जा रहा है उसी रफ़्तार से इलाज में उपयोग होने वाले एंफोटरइसिन-बी इंजेक्शन (Amphotericin-B injection) की कमी भी बढ़ती जा रही है। ऐसे में मरीजों को इंजेक्शन न मिल पाने के कारण शहर में अब तक 39 लोगों की मौत हो चुकी है। हालांकि, यहां के तमाम अस्पतालों में करीब 440 मरीज अभी भी इस संक्रमण से जूझ रहे हैं।
कोरोना से ज्यादा घातक ब्लैक फंगस!
कोरोना (corona) की दूसरी लहर में ब्लैक फंगस का संक्रमण कोरोना से भी ज्यादा घातक साबित हो रहा है। इस संक्रमण की चपेट में जो लोग आ रहे हैं, उन्हें संक्रमण से बचाने के लिए अस्पतालों में इंजेक्शन ही नहीं हैं। मांग की तुलना में गिनती के जो इंजेक्शन आते हैं। उनसे मरीजों का इलाज संभव नहीं हो रहा है। यही वजह है कि अब तक भर्ती 509 मरीजों में से 39 मरीजों की मौत हो चुकी है, जबकि 440 का इलाज अभी भी शहर के निजी एवं शासकीय अस्पतालों में चल रहा है।
प्रदेश में इंजेक्शन की कमी बनी मुश्किल
जानकारी के मुताबिक इंदौर में मरीजों के लिए फिलहाल शहर के पांच दवा स्टॉकिस्ट से इंजेक्शन की सीमित आपूर्ति हो रही है। इसके साथ ही मांग और आपूर्ति की स्थिति का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि फिलहाल भर्ती 440 मरीजों में के लिए औसतन डेढ़ सौ इंजेक्शन ही उपलब्ध हो पा रहे हैं, जबकि एक मरीज के लिए 80 डोज लगना जरूरी होता है। लिहाजा 1 दिन में मरीजों को 5 डोज लगने के स्थान पर इक्का-दुक्का डोज लग पा रहे हैं। इसमें भी इंजेक्शन सिर्फ उन मरीजों को मुहैया कराए जा रहे हैं जिनकी हालत तेजी से बिगड़ रही है।
सीमित इंजेक्शन की वजह से बढ़ी परेशानी
सीमित इंजेक्शन लगाए जाने के चलते संक्रमण को रोक पाना मुश्किल हो रहा है। वहीं, ऐसी स्थिति में अब इंदौर प्रशासन ने राज्य सरकार के अलावा केंद्र सरकार और अन्य माध्यमों से मरीजों के हित में एंफोटरइसिन-बी इंजेक्शन की आपूर्ति बढ़ाने की गुहार लगाई है।