द फॉलोअप टीम, दिल्ली :
किसानों को लाभ पहुंचाने के नाम पर केंद्र सरकार के तीन नए कृषि बिल का किसान ही विरोध कर रहे हैं। नए कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की मांग को लेकर देशभर के किसान 16 दिन से आंदोलनरत हैं। दिल्लीं की सीमा कृषक-छावनी में तब्दील हो चुकी है। उन्हें लुभाने और समझाने के सारे सरकारी प्रयास नाकाम साबित हो रहे हैं। उधर, किसानों ने साफ शब्दों में आंदोलन जारी रखने का एलान कर दिया है। शुरुआत से ही उनकी एक ही मांग है कि तीनों कृषि कानून रद्द किए जाएं। कई स्तर की सरकार से हुई बातचीत बेनतीजे होने की आशंका उन्हें इसलिए थी। अब तो किसानों ने आंदोलन को बड़े स्तर पर ले जाने की ठान ली है। किसान अब 12 दिसंबर को देशभर के टोल नाकाओं को शुल्क मुक्त करेंगे। जयपुर-दिल्ली हाईवे बाधित करेंगे। 14 दिसंबर को देशभर में भाजपा नेताओं का घेराव करेंगे। जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन करेंगे।
पीएम की मनाने की अपील
किसानों को मनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपील की है। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने फिर किसानों से आंदोलन खत्म करने की गुजारिश की। सरकार की ओर से बीते दिन कृषि कानून पर एक बुकलेट जारी की गई थी। इसे तीनों कृषि कानूनों के फायदों को गिनाया गया था। इसके अलावा वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने भी कृषि कानून के फायदे गिनाए थे। लेकिन किसानों पर कोई असर नहीं पड़ रहा है।
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जनता के बीच जाएगी पार्टी
अब जब किसान अपनी मांगों पर अड़े हुए है। भाजपा ने पार्टी स्तर पर कृषि कानूनों के प्रचार-प्रसार के लिए जनता के बीच जाने की योजना बनाई है। भारतीय जनता पार्टी नए कृषि बिलों पर देश के सभी ज़िलों में प्रेस-कॉन्फ्रेंस और चौपाल आयोजित करेगी। आने वाले दिनों में 700 प्रेस कॉन्फ्रेंस और 700 चौपाल आयोजित की जाएंगी।