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नीति आयोग की बैठक : सीएम हेमंत का माइनिंग कॉरिडोर विकसित करने पर जोर, कहा- केंद्र की योजनाएं राज्यों के अनुरूप हो

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रांची
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने नई दिल्ली के भारत मंडपम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आयोजित नीति आयोग की 10वीं गवर्निंग काउंसिल की बैठक में भाग लिया। बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, नीति आयोग के अध्यक्ष अमिताभ कांत समेत विभिन्न राज्यों के राज्यपाल, मुख्यमंत्री और वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे। झारखंड का प्रतिनिधित्व करते हुए हेमंत सोरेन ने राज्य की आवश्यकताओं और विकास के मुद्दों को मजबूती से उठाया।
उन्होंने कहा कि विकसित भारत की परिकल्पना तभी साकार होगी जब राज्य और गांवों का समग्र विकास सुनिश्चित होगा। गरीबी उन्मूलन, महिला सशक्तिकरण, युवा कौशल, किसानों की समृद्धि, शिक्षा, आधारभूत संरचना और तकनीकी विकास राज्य सरकार की प्राथमिकता में हैं। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को झारखंड की जनता की आवश्यकताओं से अवगत कराया और कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए।

केंद्र की योजनाओं में बदलाव की जरूरत
हेमंत सोरेन ने कहा कि राज्य सरकार ने सामाजिक सुरक्षा से जुड़ी कई योजनाएं जैसे पेंशन योजना, मइयां सम्मान योजना, अबुआ स्वास्थ्य योजना शुरू की हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र की योजनाओं जैसे मनरेगा, प्रधानमंत्री आवास योजना आदि में राज्य की परिस्थितियों के अनुरूप बदलाव जरूरी हैं और इन योजनाओं के लिए आवंटन बढ़ाया जाना चाहिए। CNT और SPT एक्ट के कारण राज्य में निवेश की राह में आने वाली अड़चनों को दूर करने के लिए केंद्र-राज्य समन्वय आवश्यक है।

राजस्व बंटवारे में सुधार की मांग
मुख्यमंत्री ने कहा कि 16वें वित्त आयोग द्वारा केंद्र-राज्य राजस्व बंटवारे के लिए आवश्यक प्रक्रियाएं तय की गई हैं। उन्होंने राजस्व के वर्टिकल डेवल्यूशन को वर्तमान 41% से बढ़ाकर 50% करने और विभाज्य पूल में उपकर और अधिभार को शामिल करने की मांग रखी। GST लागू होने के बाद राज्य के राजस्व पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है और जून 2022 के बाद से कंपनसेशन की राशि नहीं मिल रही, जिससे हजारों करोड़ की राजस्व हानि हो रही है।
उन्होंने कहा कि 'विक्सित भारत @2047' की परिकल्पना को साकार करने के लिए केंद्र सरकार से अपेक्षित सहयोग जरूरी है ताकि झारखंड भी विकसित भारत की दिशा में मजबूती से आगे बढ़ सके।


महिला सशक्तिकरण की दिशा में बड़ा कदम
मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य सरकार 50 लाख महिलाओं को प्रतिमाह 2500 रुपये की सहायता दे रही है, जिससे महिला सशक्तिकरण को मजबूती मिली है। उन्होंने कहा कि झारखंड खनिज और कोयले समेत अन्य प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर है। खनन से प्रदूषण और विस्थापन की समस्या रही है। खनन कंपनियों द्वारा अधिग्रहीत भूमि का मुआवजा अब तक न चुकाए जाने के कारण राज्य सरकार पर 1,40,435 करोड़ रुपये बकाया हैं। उन्होंने सीबीए एक्ट में संशोधन कर खनन उपरांत भूमि को राज्य सरकार को वापस करने और अनाधिकृत खनन के लिए कंपनियों की जवाबदेही तय करने की आवश्यकता बताई।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोल-बेड मीथेन गैस का तकनीकी रूप से दोहन कर ऊर्जा उत्पादन में इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। साथ ही, खनन कंपनियों के लिए कैप्टिव प्लांट लगाना अनिवार्य किया जाना चाहिए और उनके कुल उत्पादन का 30% हिस्सा राज्य में ही उपयोग हो, जिससे रोजगार सृजन को बल मिलेगा। झारखंड का वन क्षेत्र पूर्वोत्तर राज्यों के समकक्ष है, जिससे आधारभूत संरचना परियोजनाओं के लिए क्लीयरेंस में देरी होती है। उन्होंने मांग की कि झारखंड को भी पूर्वोत्तर राज्यों की तरह विशेष केंद्रीय सहायता दी जाए।


परिवहन और लॉजिस्टिक्स में सुधार की मांग
मुख्यमंत्री ने राज्य में रेल परिचालन विस्तार की आवश्यकता बताई और कंपनियों के CSR और DMFT फंड को राज्य सरकार की प्राथमिकताओं के साथ जोड़ने की बात कही। उन्होंने साहेबगंज जिले को कार्गो हब के रूप में विकसित करने, गंगा नदी पर अतिरिक्त पुल या उच्चस्तरीय बांध निर्माण और सामरिक महत्व वाले क्षेत्रों में आधारभूत संरचना विस्तार पर जोर दिया। साथ ही, डेडीकेटेड इंडस्ट्रियल माइनिंग कॉरिडोर विकसित करने की आवश्यकता भी रेखांकित की।

विशेष केंद्रीय सहायता सभी 16 जिलों के लिए जरूरी
मुख्यमंत्री ने कहा कि नक्सल समस्या अब केवल पश्चिमी सिंहभूम और लातेहार जिलों तक सिमट गई है, लेकिन विशेष केंद्रीय सहायता सभी 16 जिलों में लागू रहनी चाहिए। उन्होंने CAPF प्रतिनियुक्ति से संबंधित प्रतिधारण शुल्क राज्य सरकार द्वारा वहन किए जाने की समस्या को भी उठाया।
मुख्यमंत्री ने बताया कि कोविड-19 जैसी महामारी के दौरान राज्य से बाहर काम करने वाले मजदूरों की सहायता की गई। हाल ही में कैमरून में फंसे मजदूरों को भी राज्य सरकार ने अपने खर्च पर वापस बुलाया। उन्होंने सुझाव दिया कि दूसरे देशों में काम करने वाले मजदूरों के वीजा, सुरक्षा और व्यय में केंद्र सरकार की भागीदारी सुनिश्चित की जानी चाहिए। इस महत्वपूर्ण बैठक में झारखंड से मुख्य सचिव अलका तिवारी, मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव अविनाश कुमार, स्थानिक आयुक्त अरवा राजकमल और योजना सचिव मुकेश कुमार भी शामिल हुए।

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