द फॉलोअप टीम, रांची
पंचायत सचिव के 3088 अभ्यर्थियों का भविष्य अधर में लटका हुआ है। इसी बीच पंचायत सचिव के अभ्यर्थी मोरहाबादी मैदान में धरने पर बैठ गए थे और सरकार से इच्छा मृत्यु की मांग की थी। अभ्यर्थियों का कहना था कि सरकार या तो उनकी नियुक्ति प्रक्रिया पूरी करे या तो उन्हें इच्छा मृत्यु दे। इस पर संज्ञान लेते हुए मुख्य सचिव सुखदेव सिंह ने वार्ता के लिए पंचायत सचिव के अभ्यर्थियों को बुलाया है। इसके बाद धुर्वा स्थित प्रोजेक्ट भवन में मुख्य सचिव सुखदेव सिंह अधिकारियों के साथ बैठक कर रहे हैं। इस बैठक में पंचायत सचिव का एक प्रतिनिधिमंडल भी शामिल हैं।
3088 अभ्यर्थियों का भविष्य अधर में
बता दें कि पंचायत सचिव की अंतिम मेधा सूची राज्य सरकार द्वारा लटकाए जाने से 3088 अभ्यर्थियों का भविष्य दांव पर लगा हुआ है। बता दें कि पिछली सरकार ने कहा था कि संविधान की पांचवीं अनुसूची में राज्यपाल को अधिसूचित क्षेत्र के मामले में नियम बनाने के अधिकार दिए गए हैं। झारखंड में शिक्षकों की व्यापक कमी थी। बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही थी। इसी के आधार पर सरकार ने स्थानीय स्तर पर युवाओं को नौकरी देने के लिए नियोजन नीति बनाई। वहीं वर्तमान सरकार का कहना है कि पिछली सरकार ने दूसरे राज्यों के लोगों को नौकरी देने के लिए 11 जिलों में नौकरी के दरवाजे खोल दिए थे। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि पिछली सरकार ने 5 वर्षों तक झारखंडियों को सिर्फ धोखा देने का काम किया है.
तीन साल से नियुक्ति का इंतजार
अभ्यर्थियों का कहना है कि वे पिछले तीन वर्षों से बहाली का इंतजार कर रहे हैं। आयोग नियोजन नीति नहीं होने का कारण बता रहा है, जबकि अभ्यर्थियों का कहना है कि न्यायालय ने स्पष्ट कर दिया है कि चयन और नियुक्ति में किसी प्रकार की कोई रोक नहीं है।