द फॉलोअप टीम, रांची:
झामुमो के वरिष्ठ नेता और शिकारीपाड़ा से विधायक नलिन सोरेन को बिरसा मुंडा उत्कृष्ट विधायक चुना गया है। इसके अलावा विधानसभा के पांच कर्मचारी भी उत्कृष्ट सेवा के लिए चुने गए हैं। विधानसभाकर्मियों में शिशिर कुमार झा, सोमेन कुमार सिंह, लक्ष्मी मछुआ, मनोज कुमार और हेलेना कंडुलना के नाम शामिल हैं। इसके अलावा कोरोना काल में उत्कृष्ट सेवा के लिए तीन लोगों को पुरस्कार के लिए चुना गया है। रांची के सिविल सर्जन डॉ बी बी प्रसाद, एडीएम रैंक के पदाधिकारी पूर्व ला एंड आर्डर अखिलेश कुमार सिन्हा और रिम्स की मुख्य नर्स रामरेखा राय का चयन गया है।
22 नवंबर को कार्यक्रम
झारखंड विधानसभा के स्थापना दिवस के अवसर पर 22 नवंबर को विधानसभा परिसर में आयोजित इस कार्यक्रम में राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, स्पीकर रवींद्रनाथ महतो, व विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी सहित तमाम विधायक मौजूद रहेंगे। बता दें कि पिछली बार भी झामुमो के विधायक प्रो. स्टीफन मरांडी को उत्कृष्ट विधायक के रूप में सम्मानित किया गया था।
नलिन सोरेन के राजनीतिक जीवन का संक्षिप्त इतिहास
झारखंड की राजनीति में अपने कद के अनुसार ही दमखम रखनेवाले नलिन सोरेन 7वीं बार शिकारीपाड़ा विधानसभा सीट से जीत दर्ज कर विधानसभा पहुंचे हैं। कभी मधु कोड़ा सरकार में कृषि मंत्री रहे नलिन सोरेन पर बीजों की खरीद में अनियमितता का आरोप भी लगा। इस दौरान राज्य से लेकर केंद्र तक सोरेन का नाम चर्चा में आया। लेकिन इन सभी बातों को दरकिनार करते हुए उन्होंने 2019 के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर खुद को साबित किया। झारखंड विधानसभा में एक ही पार्टी और एक ही क्षेत्र से लगातार सात बार निर्वाचित होनेवाले नलिन सोरेन के अलावा कोई दूसरा विधायक नहीं हैं।
पहली बार 1990 में झामुमो से विधायक बने
झामुमो ने 1990 में डेविड मुर्मू का टिकट काट कर पहली बार नलिन सोरेन को प्रत्याशी बनाया था। 1990 के विधानसभा चुनाव में नलिन सोरेन निर्वाचित हुए तब से अब तक लगातार इस सीट पर उनका कब्जा बरकरार है। नलिन सोरेन ने 1990, 1995, 2000, 2005, 2009 और 2014 और 2019 के चुनाव में अपने विरोधियों को धूल चटाने में सफल रहे। झारखंड में संथाल परगना प्रमंडल के दुमका लोकसभा क्षेत्र से जुड़ा शिकारीपाड़ा झामुमो का मजबूत किला माना जाता रहा है। दुमका जिले के आदिवासियों के लिए आरक्षित सीट शिकारीपाड़ा विधानसभा क्षेत्र में आदिवासी समुदाय के नेता के तौर पर पहचान रखनेवाले नलिन सोरेन का किसान और मजदूर वर्ग के मतदाताओं पर अच्छी पकड़ मानी जाती है। काठीकुंड थाना क्षेत्र के शिवताला इलाके में रहनेवाले नलिन सोरेन का जन्म 1948 में 18 मार्च को हुआ था। 12वीं की शिक्षा पूरी करने बाद नलिन सोरेन ने विज्ञान से स्नाातक करने के इरादे से भागलपुर विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया, लेकिन वह विभिन्न कारणों के चलते पहले साल का कोर्स ही पूरा कर सके।