द फॉलोअप डेस्कः
गोड्डा से बीजेपी के सांसद निशिकांत दूबे अक्सर अपने बयानबाजी के कारण सुर्खियों में रहते हैं। अपने कई बयान से वह कई बार खुद की किरकिरी करा चुके हैं। इस बार उन्होंने सुप्रीम कोर्ट और चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को लेकर विवादास्पद बयान दिया है, जिससे राजनीतिक हलकों में तूफान खड़ा हो गया है। उन्होंने न्यूज एजेंसी एएनआई में बयान दिया है कि देश में गृह युद्ध के लिए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया संजीव खन्ना जिम्मेदार हैं। वहीं धार्मिक युद्ध भड़काने के लिए सुप्रीम कोर्ट जिम्मेदार है। उन्होंने कहा- सुप्रीम कोर्ट अपनी सीमाओं से बाहर जा रहा है। अगर हर किसी को सारे मामलों के लिए सर्वोच्च अदालत जाना पड़े तो संसद और विधानसभा बंद कर देनी चाहिए। गोड्डा सांसद ने संविधान के अनुच्छेद 368 का हवाला देते हुए कहा कि कानून बनाना संसद का काम है और सुप्रीम कोर्ट का काम कानूनों की व्याख्या करना है. अदालत सरकार को आदेश दे सकती है, लेकिन संसद को नहीं।
निशिकांत दुबे ने यह भी आरोप लगाया कि सुप्रीम कोर्ट इस देश को 'अराजकता' की ओर ले जाना चाहता है। उन्होंने कहा कि आप नियुक्ति प्राधिकारी को कैसे निर्देश दे सकते हैं? राष्ट्रपति भारत के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति करते हैं। संसद इस देश का कानून बनाती है। आप उस संसद को निर्देश देंगे? आपने नया कानून कैसे बनाया? किस कानून में लिखा है कि राष्ट्रपति को तीन महीने के भीतर फैसला लेना है? इसका मतलब है कि आप इस देश को अराजकता की ओर ले जाना चाहते हैं। जब संसद बैठेगी तो इस पर विस्तृत चर्चा होगी।
हालांकि निशिकांत दूबे के इस बयान से भाजपा ने किनारा कर लिया है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा- निशिकांत दुबे और दिनेश शर्मा का न्यायपालिका एवं देश के चीफ जस्टिस पर दिए गए बयान से पार्टी का कोई लेना–देना नहीं है। यह इनका व्यक्तिगत बयान हैं। नड्डा ने X पोस्ट में लिखा- भाजपा ऐसे बयानों से न तो कोई इत्तेफाक रखती है और न ही कभी भी ऐसे बयानों का समर्थन करती है। भाजपा इन बयान को सिरे से खारिज करती है। पार्टी ने सदैव ही न्यायपालिका का सम्मान किया है, उनके आदेशों और सुझावों को सहर्ष स्वीकार किया है, क्योंकि एक पार्टी के नाते हमारा मानना है कि सर्वोच्च न्यायालय सहित देश की सभी अदालतें हमारे लोकतंत्र का अभिन्न अंग हैं। संविधान के संरक्षण का मजबूत आधारस्तंभ हैं। मैंने सभी को ऐसे बयान ना देने के लिए निर्देशित किया है।
इधर झारखंड सरकार में मंत्री और कांग्रेस नेता इरफान अंसारी भी भड़क उठे हैं. इरफान अंसारी का कहना है कि वह बीजेपी के नफरत के मंसूबों को कामयाब नहीं होने देंगे. दरअसल, इरफान अंसारी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर लिखा, "भाजपा देश को धर्म, जाति सहित कई वर्गों में विभाजित करने का प्रयास कर रही है लेकिन हम संविधान को मानने वाले उनके नफरत के मंसूबो को कभी कामयाब होने नहीं देंगे."निशिकांत दुबे पर हमला बोलते हुए हेमंत सोरेन सरकार में मंत्री इरफान अंसारी ने आगे लिखा, "न्यायपालिका द्वारा कही गई हर बात प्रत्येक भारतीय नागरिक के लिए एक लकीर के समान है. निशिकांत दुबे जैसे लोग हैं जो समाज को तोड़ने का प्रयास करते हैं और तानाशाही का परिचय देते हुए खुद को संविधान और न्यायपालिका से ऊपर समझते हैं." वहीं, इरफान अंसारी ने आगे लिखा, "भारत के मुख्य न्यायधीश के प्रति की गई टिप्पणी न केवल निंदनीय है बल्कि संवैधानिक मूल्यों और न्यायपालिका पर सीधा प्रहार है, अध्यक्ष ओम बिड़ला से आग्रह है कि ऐसे व्यक्ति को लोकसभा के सदन से तुरंत बर्खास्त करें."
भाजपा सांसद निशिकांत दुबे की विवादित टिप्पणी की आलोचना करते हुए झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के प्रवक्ता मनोज पांडे ने कहा कि देश में तानाशाही इस स्तर पर पहुंच गई है कि अब सांसद अदालतों को चुनौती दे रहे हैं। JMM प्रवक्ता ने न्यायपालिका से भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की साथ ही अदालत पर उनकी टिप्पणी को दुर्भाग्यपूर्ण बताया।