द फॉलोअप टीम, धनबाद:
श्रम कानूनों में संशोधन एवं सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण के विरोध में बिहार कोलियरी कामगार यूनियन एक बार फिर व्यापक रूप से हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया है। यूनियन के नेता मानस चटर्जी ने कहा है कि 26 नवंबर की हड़ताल उन्हीं मुद्दों पर आधारित है, जिन मुद्दों पर कोल सेक्टर में तीन दिवसीय हड़ताल हुई थी। उस हड़ताल में भारतीय मजदूर संघ हमारे साथ था। यह पूरी तरह से औद्योगिक हड़ताल है।
'बीएमएस को हड़ताल का समर्थन करना चाहिए'
मानस चटर्जी ने कहा कि इस हड़ताल में न सिर्फ केंद्र-राज्य के सभी औद्योगिक इकाइयों के श्रमिक, बल्कि कर्मचारी भी हड़ताल पर रहेंगे। इसलिए इसे राजनीतिक हड़ताल कहना सही नहीं होगा। उन्होंने कहा कि भारतीय मजदूर संघ को हड़ताल में हमारे साथ आना चाहिए। हड़ताल के मुद्दे भी वही हैं, जो पिछली बार थे। श्रम कानूनों में संशोधन एवं सार्वजनिक उद्योगों के निजीकरण का विरोध हड़ताल का मुख्य बिंदु है। अन्य मांगे भी हैं।
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'लेबर कोड छलावा है'
उन्होंने कहा कि लेबर कोड को लेकर हाल के दिनों में भाजपा ने जो अभियान चलाया, वह मजदूरों को बहलाने वाला है। उसमें जो भी नियम बने हैं वह पहले से ही मौजूद हैं। पहले भी मजदूरों के लिए काम के 8 घंटे ही निर्धारित थे। इस सरकार ने कुछ नया नहीं किया, बल्कि जो नियम पहले से बने हुए थे, उन्हें भी समाप्त कर दिया। मजदूरों को यह तब पता चलेगा जब इसे लागू किया जाएगा। उन्होंने इस हड़ताल में संगठित हो या असंगठित, सभी मजदूरों से 26 नवंबर की हड़ताल में शामिल होने की अपील की है।