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झारखंड में सड़क दुर्घटनाएं बढ़ीं, आंकड़े दे रहे हैं गवाही, पांच सालों में 16,519 लोगों की मौत

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द फॉलोअप टीम, रांची:
झारखंड में इन दिनों सड़क हादसों में बेतहाशा वृद्धि हुई है। दिन-प्रतिदिन सड़क दुर्घटनाओं के आंकड़ों में बढ़ोतरी देखने को मिल रहा है। अगर आंकड़ों पर गौर करें तो झारखंड में बीते पांच वर्षों में 16,519 लोगों की सड़क हादसे में मौत हो चुकी है। यह आंकड़ा मिनिस्ट्री ऑफ रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाईवे ट्रांसपोर्ट रिसर्च विंग ने जारी किया है। बीते पांच वर्षों में राज्य में 25,903 सड़क दुर्घटनाएं हुईं।

क्या कहते हैं आंकड़े?
मिनिस्ट्री ऑफ रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाईवे ट्रांसपोर्ट रिसर्च विंग की ओर से जारी आंकड़ों में यह बताया गया है कि झारखंड में 2019 में हर 100 एक्सीडेंट में 73 लोगों की मौत हुई है। झारखंड का देश भर में ये दूसरा स्थान रहा। सड़क दुर्घटनाओं में मरने वालों की संख्या में झारखंड देश में 17वें स्थान पर है। वहीं पहले स्थान पर उत्तर प्रदेश व दूसरे पर महाराष्ट्र है। मरनेवालों का आंकड़ा राज्य में हर साल बढ़ता ही जा रहा है। यह राज्य के लिए चिंता का सबब बना हुआ है।

2018 में सड़क हादसे में 3542 मौतें हुईं 
जारी आंकड़ों पर गौर करें तो वर्ष 2018 में 3542 मौतें हुई थीं, जो वर्ष 2019 में बढ़कर 3801 पर पहुंच गईं। आंकड़े बताते हैं कि सड़क दुर्घटनाओं में सबसे अधिक दो पहिया वाहन चालकों की मौत हुई है। इसमें खराब सड़क से अधिक तेज रफ्तार और बगैर हेलमेट पहन के चलानेवाले बाइक सवारों की गलतियों से हादसे हुए हैं।

साइकिल चलानेवालों की मौतें कम हुईं
जारी आंकड़ों में यह खुलासा हुआ है कि झारखंड में सबसे सुरक्षित साइकिल चलाने वाले रहे, जिनकी मौत का प्रतिशत सबसे कम है। प्रदेश में 2019 में सड़क दुर्घटना में 3004 लोग गंभीर रूप से घायल हुए, जबकि 814 को मामूली चोटें आईं। राज्य के 15 जिलों की सड़कों पर 90 ब्लैक स्पॉट हैं, जिसपर पिछले तीन सालों में 707 लोगों की जान जा चुकी हैं।

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क्यों नहीं रूकती युवापीढ़ी की लापरवाही?
सड़क हादसों का सबसे बड़ा कारण चालक की खुद की गलतियां आम हैं। दूसरा बड़ा कारण ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन है, जो हमें सड़क दुर्घटनाओं के लिए आमंत्रण देता है। फोर व्हीलर में अक्सर लोग वाहनों में लगे सेफ्टी डिवाइस का इस्तेमाल नहीं करते। सिर्फ ड्राइवर सीट पर बैठनेवाला सीट बेल्ट लगाते हैं, बाकी नहीं। नाबालिग और स्कूल के सीनियर बच्चे इसके सबसे ज्यादा शिकार हो रहे हैं, क्योंकि अक्सर देखा गया है कि नाबालिगों को बाइक थमा दी जाती है। ऐसे नाबालिक बाइक या स्कूटी चलाते समय हवा से बात करना चाहते हैं, नतीजा ये होता है कि तेज रफ्तार के कारण नियंत्रण नहीं रख पाते हैं और दुर्घटनाओं का शिकार होते हैं। आज की युवा पीढ़ी पुलिस के डर से हेलमेट पहनने लगे हैं, लेकिन अधिकतर लोग अब भी हेलमेट पहनने से परहेज करना चाहते हैं। ऐसे लोग अपनी जिंदगी से खिलवाड़ करते हैं।