द फॉलोअप टीम, रांची:
झारखंड में पत्थलगड़ी का मुद्दा फिर से गर्माने लगा है। सोमवार को खूंटी, गुमला और रांची जिला के ग्रामीण इलाकों से 2 दर्जन से ज्यादा लोग डोरंडा पहुंचे और शिलापट्ट लगाने की कोशिश की। ये लोग संताल, हो, मुंडा, उरांव और खड़िया अदिवासी समुदाय से थे। वे हाईकोर्ट परिसर के बाहर अंबेडकर प्रतिमा के पास शिलापट्ट लगाना चाहते थे लेकिन, पुलिस ने उन्हें ऐसा करने से रोक दिया। उनका कहना था कि रांची अनुसूचित क्षेत्र है और यहां शासन-प्रशासन का नियंत्रण आदिवासियों के हाथ में होगा।
पत्थलगढ़ी कहने पर जताई नाराजगी
बातचीत में इन्होंने बताया कि वे संविधान की पांचवी अनुसूची में उल्लिखित अपने अधिकारों के तहत ही यहां आये हैं। उनका कहना था कि हाईकोर्ट परिसर का पूरा इलाका चुटिया नागपुर क्षेत्र के अंतर्गत आता है, इसलिए यहां के विधि व्यवस्था की जिम्मेदारी उनकी है। उनका ये भी कहना था कि जब साल 2007 में ही भारत के राष्ट्रपति ने इससे संबंधित राजपत्र जारी कर दिया था तो फिर आज तक उन्हें उनका हक क्यों नहीं दिया गया। इस संबंध में पत्थलगड़ी का जिक्र किये जाने पर वहां उपस्थित आदिवासी नाराज हो गये। कहा कि उन्हें पत्थलगढ़ी से ना जोड़ा जाये। वे पड़हा शासन व्यवस्था का अपना हक लेने आये हैं।
रांची पांचवी अनुसूची में शामिल
शिलापट्ट लगाने आये आदिवासियों में से एक धनुआ उरांव ने कहा कि रांची झारखंड राज्य की पांचवी अनुसूची में शामिल है। संविधान के अनुच्छेद 13 और 5वीं अनुसूची के मुताबिक यहां का शासन-प्रशासन आदिवासियों के नियंत्रण में होना चाहिए। उनका ये भी कहना था कि ये इलाका मुंडा और उरांव लोगों का है, और इस समुदाय का शासन पड़हा शासन व्यवस्था से संचालित होता है, इसलिए उन्हें शिलापट्ट लगाने दिया जाए।
ट्रैफिक एसपी अजीत डुंगडुंग के समझाने पर माने
जानकारी मिलने पर रांची के ट्रैफिक एसपी अजीत पीटर डुंगडुंग पहुंचे। शुरुआत में कुछ देर मसले को लेकर ग्रामीण इलाकों से आये आदिवासी प्रतिनिधियों और पुलिस के बीच गहमा-गहमी हुई। ट्रैफिक एसपी उन्हें समझाते रहे कि वे शिलापट्ट स्थापित नहीं कर सकते। पुलिस को कार्रवाई करने पर मजबूर होना पड़ेगा। वहीं दूसरे पक्ष का कहना था कि वे विधि-व्यवस्था को नुकसान पहुंचाने जैसा कोई कदम नहीं उठा रहे इसलिए उन्हें शिलापट्ट स्थापित करने की इजाजत दी जाए। पुलिस ने शिलापट्ट लगाने की कोशिश कर रहे लोगों से कहा कि वे राज्यपाल से मिलकर अपना ज्ञापन उन्हें सौंपे और वार्ता करें। कुछ देर की वार्ता के बाद ग्रामीण माने।
मंगलवार को राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू से करेंगे बात
हालांकि उनका कहना था कि उनका शिलापट्ट लगाने का फैसला विधिसम्मत है और वे ऐसा जरूर करेंगे। लेकिन आज के लिए ये कार्यक्रम स्थगित कर दिया है। उन्होंने कहा कि वे, मंगलवार को राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू से वार्ता करेंगे। पांचवी अनुसूची में आदिवासी स्वशासन उनका हक है। बता दें कि भारतीय संविधान की पांचवी अनुसूची देश के आदिवासियों के परंपरागत शासन व्यवस्था, उनकी विशिष्ट संस्कृति, भाषा, सभ्यता, क्षेत्र और अस्तित्व के संरक्षण से संबंधित है। आदिवासी इसी आधार पर ग्रामीण इलाकों में शिलापट्ट स्थापित करके उसमें पांचवी अनुसूची में लिखी गई बातों का जिक्र करते हैं।