द फॉलोअप टीम, पटना
बिहार विधानसभा चुनाव के लिए होनेवाली वोटिंग से ठीक पहले एक शब्द को लेकर सियासत गरमा गई है। दरअसल, तेजस्वी यादव ने अपनी एक चुनावी सभा में 'बाबू साहेब' शब्द का जिक्र किया था, जिसे बिहार में आमतौर पर राजपूत बिरादरी के लिए प्रयोग किया जाता है। बाबू साहेब शब्द को लेकर तेजस्वी द्वारा दिए गए बयान के बाद बिहार की सियासत गरमा गई थी और इसके बाद खास करके एक जाति विशेष में इसको लेकर काफी असंतोष था। ऐसे में अब तेजस्वी यादव ने डैमेज कंट्रोल की पॉलिसी अपनाते हुए इस बयान पर सफाई दी है।
तेजस्वी की सफाई, मैंने राजपूतों के बारे में नहीं कहा
तेजस्वी यादव ने मंगलवार को चुनाव प्रचार के लिए रवाना होने से पहले कहा कि मेरे बयान को गलत तरीके से लोगों के बीच प्रचारित करने की कोशिश विपक्ष द्वारा की जा रही है। तेजस्वी यादव ने कहा कि मैंने राजपूतों को लेकर कोई बयान नहीं दिया है, बल्कि बाबू शब्द से मेरा कहना बिहार सरकार के उन सभी सरकारी विभागों में कार्यरत लोगों से था जो आमतौर पर नीतीश कुमार की सरकार में भ्रष्टाचार के पर्याय बन गए हैं। तेजस्वी ने कहा कि हमको पता था कि इस बयान के बाद लोग बिहार की जनता को मुद्दों से भटकाने की कोशिश करेंगे।
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'बड़ा बाबू' का गलत मतलब निकाला गया: तेजस्वी
तेजस्वी यादव ने कहा कि बाबू से मतलब बड़ा बाबू, डॉक्टर बाबू, सरकारी विभागों में बैठनेवाले छोटा बाबू जैसे सरकारी मुलाजिमों से है, जो कि नीतीश कुमार की सरकार में भ्रष्टाचार को लगातार बढ़ावा दे रहे हैं। इसके साथ ही तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार पर भी निशाना साधा और कहा कि जनसंख्या को लेकर दिया गया बयान मेरे लिए नहीं, बल्कि पीएम नरेंद्र मोदी के लिए है। तेजस्वी ने कहा कि खास तरह की भाषा का इस्तेमाल कर नीतीश कुमार ने मेरी मां समेत बिहार की अन्य महिलाओं का भी अपमान किया है। तेजस्वी ने कहा कि आज बिहार में महंगाई, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी समेत कई अन्य ज्वलंत मुद्दे हैं, लेकिन नीतीश कुमार पर कभी नहीं बोलते हैं।
तेजस्वी पर जाति कार्ड खेलने का आरोप
तेजस्वी ने कहा कि मेरे खिलाफ दिया गया बयान नीतीश कुमार की तरफ से मेरे लिए आशीर्वाद के समान है। तेजस्वी यादव ने दो दिन पहले रोहतास में इशारों-इशारों में जाति कार्ड खेल दिया था। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, तेजस्वी यादव ने जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि लालू यादव का राज था तो गरीब सीना तान कर 'बाबू साहब' के सामने बैठता था। दरअसल, बिहार में राजपूत जाति के लोगों को बाबू साहब कहा जाता है। तेजस्वी के दबी जुबान में सवर्णों पर दिए इस बयान ने चुनावी माहौल को गर्मा दिया है। इससे तेजस्वी के विरोधियों को उनपर हमला बोलने का मौका मिल गया। बीजेपी ने तेजस्वी पर चुनाव को जातियों के आधार पर बांटने का आरोप लगाया।