logo

रूस की सैर इन वन क्‍लिक: सेंट पीटर्सबर्ग उर्फ लेनिनग्राद के गांव-शहर जानिये

12953news.jpg

सुभाष चन्द्र कुशवाहा, लखनऊ:

यूरोप का सबसे बड़ा नॉन कैपिटल सिटी है सेंट पीटर्सबर्ग। एक ऐतिहासिक शहर है। कई सभ्यताओं का इतिहास यहां से जुड़ता है तो प्रथम और द्वितीय विश्वयुद्ध से भी। फ्रांस, रूस और जर्मन युद्ध का यहां के स्कॉलरों, आम नागरिकों में बेहद महत्व है। इस शहर को बिना इंग्लिश गाइड के, जो इतिहास का गम्भीर जानकर न हो, नहीं देखा जा सकता। हर इंच में एक विस्तृत इतिहास दफ़्न है। यहां के ऑर्थोडॉक्स चर्च सत्ता के केंद्र में रहे हैं सिवाय बोल्शेविक क्रांति के बाद 1991 में इसके ध्वस्त होने तक। आज भी उतने ही मजबूत हैं। मेरे साथ मार्क हैं और लगातार, बताते चलते हैं। इस शहर से सभी पुराने मकान चौकोर और समान ऊंचाई के इसलिए हैं कि सम्राटों के शासन में  विंटर पैलेस से ज्यादा ऊंचाई के मकान बनाने की अनुमति न थी। 

 

 

सेंट पीटर्सबर्ग सामन्तशाही का गढ़। विंटर पैलेस, सेंट पीटर्सबर्ग के अंदर विश्व का सबसे बड़ा म्यूजियम है जहां समंशाही की ऐश्वर्यता का बोध होता है। म्यूजियम इतना बड़ा है कि केवल इसे दो-तीन दिनों में ठीक से देखा जा सकता है। 

 

 

दुनिया के एक और मशहूर चित्रकार एंथोनी वैन डी की पेंटिंग

 

दुनिया का मशहूर चित्रकार पीटर पॉल रूबेन्स की चित्रकारी देखें।

 

मूर्तिकला को देखें। यह फोटो रंगकर्म के सबसे बड़े नायक मेलपोमेने  की है, जिसके हाथ में मुखौटा है।

 

कैथोलिक चर्च की सत्ता को चुनौती देना आसान न था। देश की सारी समृद्धि, सेंट पीटर्सबर्ग के चर्चों में निहित थी। 1917 में बहुत से चर्चों को चर्च संग्रहालय में बदल दिया गया । दो सबसे महत्वपूर्ण चर्चों के चित्र यहां दे रहा हूँ।

 

 

मेरा गाइड, मि. मार्क विद्वान हैं। इतिहास का गहन अध्ययन है इसके पास। वह प्रोपोगंडा और ऑर्थोडॉक्स के बारे में रोज विस्तार में बताते हैं। साथ में इतिहास की किताबें लेकर चलते हैं। उनके दादा कम्युनिस्ट पार्टी में महत्वपूर्ण पद पर रहे। उसे पता है कि मेरी रुचि इतिहास में है। उसने मेरी इतिहास की उन किताबों को रूसी भाषा में करने की रुचि दिखाई जो इंग्लिश में आ चुकी हैं। वह  सवाल और जवाब के दौरान,  बहुत मुस्कुराता है। उसने कहा कि मेरे 10 साल के कैरियर में किसी ने इतने जरूरी सवाल नहीं उठाए।  इसलिए उसने टूर प्रोग्राम को थोड़ा बदला है।

 

आज अनुमति ले लिया है, सेंट्रल लायब्रेरी में ले जाने का जहां लेनिन वर्षों अध्ययन करते रहे। बताने-दिखाने को बहुत है और उतना समय नहीं है। सुबह 10 बजे से शाम 7 बजे तक चलते-चलते पैर थक जाते हैं। बीच में लंच और थोड़ा बहुत सुस्ताने का बहाना। 

 

विश्व के चुनिन्दा बड़े पुस्तकालयों में से एक, जहाँ पीटर द ग्रेट से लेकर वाल्तेयर, काथरिन, पुश्किन और लेनिन की स्मृतियां जुड़ी हैं, जहां बैठकर लेनिन ने अध्ययन किया,  जहाँ प्रतिदिन ग्यारह हजार से ज्यादा सामग्री आबंटित की जाती हों या डाउनलोड होती हों , जिसमें कुल 40 मिलियन सामग्री हो, जिसमें छपाई की खोज की शुरुआत 1456 के साथ ही 1600 के आसपास की एक पुस्तक इंडिया के बारे में हो , जहाँ 1917 बोल्शेविक क्रांति की जड़ें हों , जहाँ के पुस्तकालयाध्यक्ष, वैज्ञानिक , लेखक और शासक रहे हों, उसे कल देखने का अवसर विशेष अनुमति के बाद मिल पाया. पुस्तकालयाध्यक्ष जो महान विद्वान हैं, कल विशेष रुचि के साथ घंटों इसे दिखाते रहे. इसे देखकर लगा कि दुनिया में पुस्तकालयों का क्या महत्व है।   The National Library of Russia in Saint Petersburg, is the oldest public library in the nation, established in 1795 by Catherine the Great and It is known as the Imperial Public Library from 1795 to 1917; Russian Public Library from 1917 to 1925; State Public Library from 1925 to 1992. Now The National Library of Russia.

 

विंटर पैलेस, सेंट पीटर्सबर्ग, के सामने-
(The Winter Palace is a palace in Saint Petersburg, which served as the official residence of the Russian Emperors from 1732 to 1917. As of 2021 the palace and its precincts form the Hermitage Museum.

 

 

Situated between Palace Embankment and Palace Square, adjacent to the site of Peter the Great's original Winter Palace, the present and fourth Winter Palace was built and altered almost continuously between the late 1730s and 1837, when it was severely damaged by fire and immediately rebuilt.The storming of the palace in 1917, as depicted in Soviet propaganda art and in Sergei Eisenstein's 1927 film October, became an iconic symbol of the Russian Revolution)

 

विंटर पैलेस, सेंट पीटर्सबर्ग के चारों ओर ऐतिहासिक महल और दृश्य

 

 

सेंट पीटर्सबर्ग में नदियों पर लिवरपूल बने हैं, जो रात 1.10 से एक के बाद एक, खुलते जाते हैं और पानी के बड़े जहाज गुजरते हैं। सेंट पीटर्सबर्ग मेट्रो स्टेशनों की अदभुत डिजाइन। हर स्टेशन की अलग स्थापत्य। 130 मीटर नीचे मेट्रो स्टेशन।

 

 

सेंट पीटर्सबर्ग मेट्रो स्टेशनों की अदभुत डिजाइन। हर स्टेशन की अलग स्थापत्य।

 

1917 की बोल्शेविक क्रांति का केंद्र सेंट पीटर्सबर्ग ही था। अभी भी उस क्रांति के अनेक अवशेष मौजूद हैं यद्यपि यहां के वामपंथी विचारधारा में अब बहुत झोल है।

 

आज सेंट पीटर्सबर्ग के मेट्रो स्टेशनों पर लेनिन के चित्रों, मूर्तियों से स्मृतियों को ताजा किया।

 

 

हम मशहूर रूसी चित्रकार, निकोलाई रेरिख़ के जन्मस्थान भी गए। जब हम वहां पहुंचे, संग्रहालय की निदेशिका, सफाई अभियान में जुटी थीं। गाँव वोलोसोवो में बसा रेरिख़ पैलेस, अब संग्रहालय है।

 

 

रेरिख़ स्थानीय जमींदार थे मगर भारत के कुल्लू में ही उन्होंने अपना निवास बनाया। अपनी चित्रकला में हिमालय को उकेरा और वहीं अंतिम सांस ली। टैगोर की परपोती से उनके पुत्र का रिश्ता जुड़ा। अपनी चित्रकला के माध्यम से उन्होंने संस्कृति से शांति की ओर अभियान चलाया। वह विरासतों की हिफाजत में सक्रिय रहे।

 

 

गाँव-देहात, सेंट पीटर्सबर्ग से 80 किलोमीटर दूर, चित्रकार निकोलाई रेरिख़ के गाँव।

 

गाँव का स्कूल, सोवियत संघ काल के किसानों की फैक्टरियां, आवास, उनको दिए जाने वाले कृषि यंत्र, जो अब बर्बाद हो गए हैं।

 

 

(यूपी सरकार की उच्च सेवा से रिटायर्ड अफसर सुभाष चंद्र कुशवाहा लेखक ,इतिहासकार और संस्कृतिकर्मी हैं। आशा, कैद में है जिन्दगी, गांव हुए बेगाने अब (काव्य संग्रह), हाकिम सराय का आखिरी आदमी, बूचड़खाना, होशियारी खटक रही है, लाला हरपाल के जूते और अन्य कहानियां (कहानी संग्रह) और चौरी चौरा विद्रोह और स्वाधीनता आन्दोलन (इतिहास) समेत कई पुस्तकें प्रकाशित। कई पत्रिकाओं और पुस्तकों का संपादन। संप्रति लखनऊ में रहकर स्वतंत्र लेखन। अभी वह रूस की यात्रा पर हैं।)

 

नोट: यह लेखक के निजी विचार हैं। द फॉलोअप का सहमत होना जरूरी नहीं। हम असहमति के साहस और सहमति के विवेक का भी सम्मान करते हैं।