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आदिवासी संगठनों ने भरी हुंकार- जनगणना से पहले अलग धर्मकोड नहीं मिला, तो आदिवासी समाज वोट नहीं देगा

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द फॉलोअप टीम, रांची 
सरना धर्मकोड की मांग को लेकर राजधानी रांची में सरना धर्मगुरु बंधन तिग्गा व डॉ. करमा उरांव के नेतृत्व में दिन मंगलवार को 11 बजे हरमू मैदान और आदिवासी सेना के अध्यक्ष शिवा कच्छप के नेतृत्व में पिस्का मोड़ से रैली निकाली गयी। आदिवासी समाज 2021 के जनगणना फॉर्म में अलग सरना धर्म कोड शामिल करने की मांग को लेकर राज्यभर में रैली-प्रदर्शन कर रहे हैं। दोपहर 2.30 बजे राज्यपाल से मिलकर ज्ञापन भी सौंपा जाएगा।

'आदिवासी समाज की अलग से जनगणना हो'
बता दें कि सुबह आदिवासी समाज के लोगों ने अल्बर्ट एक्का चौक पर मानव श्रृंखला भी बनायी गई। इस दौरान अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद की जिलाध्यक्ष ने कहा कि आदिवासी धर्मकोड की मांग लेकर हम आंदोलन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमलोगों की पिछले 40 साल से मांग है कि हमारी अलग से जनगणना हो। जैसे हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई की होती है, वैसे ही प्रकृति पूजक होनेवाले आदिवासी समाज के लिए अलग धर्मकोड बने। उन्होंने कहा कि हमलोगों की जनगणना अलग से नहीं होती है, जिससे कुछ हिंदू में चले जाते हैं तो कुछ ईसाई में चले जाते हैं। इसलिए हम इस बार आंदोलन कर रहे हैं। कहा गया कि आज राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू के माध्यम से राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को ज्ञापन सौंपा जाएगा। अगर जनगणना से पहले अलग धर्मकोड नहीं मिला, तो पूरा आदिवासी समाज वोट नहीं देगा।

करमा उरांव का दावा-रूट तय कर लिया गया है
उधर, सरना धर्मगुरु डॉ. करमा उरांव ने दावा किया कि एसडीओ के साथ हुई बैठक में रूट तय कर लिया गया है। रैली-प्रदर्शन में करीब 15 लाख आदिवासी हिस्सा लेंगे। उधर, सदर एसडीओ समीरा एस. ने कहा कि कोविड-19 को लेकर शहर में धारा 144 लागू है, किसी को रैली-प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं दी गई है। संगठन के लोगों को बुलाकर रैली-प्रदर्शन नहीं करने के लिए नोटिस दे दिया गया है।

आंदोलन को इन संगठनों का मिला समर्थन
रैली को आदिवासी जनपरिषद, संथाल परगना के ऑल इंडिया मांझी परगना महल के दिशोम पुराणिक बाबा रामचंद्र मुर्मू, आदिवासी सेंगल अभियान, राजी पड़हा सरना समिति, आदिवासी छात्र संघ व केंद्रीय सरना समिति सहित अन्य ने समर्थन दिया है। राष्ट्रीय आदिवासी धर्म समन्वय समिति के संयोजक देव कुमार धान ने कहा कि सन 1871 से 1951 तक आदिवासियों के लिए अलग आदिवासी धर्म कोड लागू था। लेकिन, 1961 में साजिश के तहत इसे हटा दिया गया।

15 अक्टूबर को किया था चक्का जाम
जनगणना फॉर्म में सरना धर्मकोड कॉलम शामिल करने की मांग को लेकर केंद्रीय सरना समिति समेत आदिवासी संगठनों ने पिछले 15 अक्टूबर को रांची समेत पूरे राज्य में चक्का जाम किया था। 500 से अधिक आदिवासी नेताओं-कार्यकर्ताओं ने गिरफ्तारियां दीं थी। कहा गया कि इस मसले पर आदिवासी संगठन इसबार आरपार की लड़ाई के मूड में है।