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करोड़पति बनने की चाहत ने दिव्यांग को बनाया आर्म्स डीलर

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द फॉलोअप टीम, रांची
रांची पुलिस को बड़ी सफलता उस वक्त हाथ लगी जब पुलिस ने मांडर और नरकोपी थाना क्षेत्र में पांच सालों से चल रही अवैध मिनी गन फैक्ट्री का उद्भेदन कर दिया। पुलिस ने एक घर से हथियारों का जखीरा बरामद किया । यहां से हथियार बनाने के औजार भी मिले हैं।  

ये सामान मिले
एसएसपी सुरेंद्र कुमार झा ने बुधवार को प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि आरोपी पिछले पांच वर्षों से पुलिस की आंखों में धूल झोंक कर हथियार के अवैध कारोबार में जुटा था। यह कारोबार मो. रकीब और साहिर मिलकर करते थे। सभी हथियार घर के सीढ़ी के नीचे गड्ढे में छिपाए गए थे।

छापेमारी की सूचना से भागा अपराधी
रांची एसएसपी को गुप्त सूचना मिली थी इस तरह का गंदा धंधा मांडर और नरकोपी में चल रहा है। हालांकि आरोपियों को पुलिस के आने की उसे भनक लग गई। इस लिए हथियार कारोबारी साहिर अंसारी भागने में सफल रहा। पुलिस आरोपियों को गिरफ्तार करने के लिए लगातार छापेमारी कर रही है। पुलिस ने एक कारबाइन, तीन देसी पिस्टल, टीन के डब्बे में रखी अलग-अलग बोर के तीन दर्जन कारतूस, कार और हथियार बनाने के समान मिले।

इस धंधे के पुराने खिलाड़ी हैं आरोपी
ग्रामीण एसपी नौशाद आलम के नेतृत्व में मांडर थाने के सशस्त्र बल और क्यूआरटी टीम ने बूढ़ा मांडर थाना क्षेत्र के बूढ़ा खुखरा में छापेमारी कर मो. रकीब के घर छापेमारी की, जिसमें पुलिस को उसके घर से बड़ी मात्रा में हथियार मिले थे। पूछताछ में उसने बताया कि हथियार बनाने के कारोबार में झींकपानी का साहिर भी शामिल है। उसी की निशानदेही पर पुलिस को सफलता मिली। एसएसपी ने बताया कि मो. रकीब और साहिर पेशेवर अपराधी हैं और इससे पहले भी आर्म्स एक्ट में जेल जा चुके हैं।

घर में करता था हथियार असेंबल
पुलिस की पूछताछ में मो रकीब ने बताया कि हथियार के महत्वपूर्ण पार्ट्स मुंगेर, उत्तरप्रदेश आदि स्थानों से मंगाता था। कई पार्ट्स रांची में ही बनाता था, फिर आर्डर के अनुसार अपने घर में ही कारबाइन, देसी पिस्टल आदि तैयार करता था। यही नहीं आर्म्स के साथ ग्राहकों को अलग-अलग बोर की गोली भी उपलब्ध कराता था।

करोड़पति बनने की चाहत ने बनाया अपराधी 
एसएसपी ने बताया कि मो. रकीब दिव्यांग है लेकिन वह करोड़पति बनना चाहता था। इसलिए हथियार के कारोबार से जुड़ गया, वह कम समय में ही ढेरों पैसा कमा लेना चाहता था। इसी चाहत को पूरा करने के लिए घर को ही मिनी गन फैक्ट्री में तब्दील कर दिया। पुलिस को भनक न लगे इस कारण हथियार की डिलिंग खुद नहीं करता था। इसके लिए एक सब्जी वाले को मध्यस्थ बनाया था। हथियार बनाने के बाद सब्जी वाले को दे देता था फिर सब्जी वाला ग्राहक को हथियार बेचता था।