द फॉलोअप टीम, रांची
झारखण्ड का नया लोगो यानी प्रतीक चिह्न आपने जरूर देखा होगा। कैबिनेट में पास होने के बाद 15 अगस्त को सरकार ने तामझाम के साथ इस नए प्रतीक चिह्न को लॉन्च किया था। प्रतीक चिह्न बनाने और डिजाइन के लिए सरकार ने एक प्रतियोगिता का भी आयोजन किया था। 26 जनवरी को एक सूचना या कहें विज्ञापन निकालकर सरकार ने एक मेल आईडी और फॉर्मेट जारी किया था और राज्य की जनता से प्रतीक चिह्न का डिजाइन माँगा था। इसके लिए 11 फरवरी तक का समय दिया गया था, लेकिन प्रतीक चिह्न लॉन्च हो जाने के बाद भी अबतक ये रहस्य बरकरार है कि आखिर इतना बढ़िया प्रतीक चिह्न किसके दिमाग की उपज है? क्या झारखंड के किसी प्रतिभावान युवा ने इसे डिजाइन किया है? या फिर सरकार के नुमाइंदों ने ? जी हां, सरकार ने अबतक ये जाहिर नहीं किया कि आखिर इतना खूबसूरत प्रतीक चिह्न किसने डिजाइन किया और किसने बनाया है? आखिर ये सवाल आज द फॉलोअप क्यों उठा रहा है ? इसके पीछे की वजह क्या है ? आज हम आपको यही बताएंगे।
जमशेदपुर के प्रकाश का प्रतीक चिह्न डिजाइन करने का दावा
सरकार भले ही राज्य के प्रतीक चिह्न को डिजाइन करने वाले का नाम अबतक उजागर नहीं किया हो लेकिन एक व्यक्ति हैं, जिनका दावा है कि यह नया प्रतीक चिह्न उनका डिजाइन किया हुआ है। ये नौजवान है जमशेदपुर के ईचागढ़ के रहने वाले प्रकाश महतो। प्रकाश का दावा है कि यह नया प्रतीक चिह्न उनके द्वारा डिजाइन किया गया है। वो चाहते हैं कि सरकार उन्हें इसका क्रेडिट दे। इसके लिए उनसे जितना बन पड़ता है वो तमाम कोशिश भी कर चुके हैं, लेकिन अबतक उन्हें कोई जवाब नहीं मिला है। ये भी नहीं बताया गया है कि ये उनका डिजाइन किया गया है भी या नहीं ? अगर उनकी ओर से डिजाइन किया गया ये प्रतीक चिह्न नहीं है तो फिर किसने इसे बनाया है ? वो हर प्रयास कर थक चुके हैं, लेकिन जिम्मेवार अधिकारियों की ओर से कोई रिप्लाय नहीं मिल रहा है।
11 फरवरी को भेजा था प्रतीक चिह्न
इंजीनियरिंग से पीएचडी कर रहे प्रकाश महतो के अनुसार जब उन्हें यह सूचना मिली कि सरकार ने नया प्रतीक चिह्न के लिए सुझाव माँगा है। उन्होंने दिन रात मेहनत कर इस पर काम किया और एक प्रतीक चिह्न मेल के जरिये सरकार को भेजा। प्रकाश के अनुसार 11 फरवरी की रात 11 बजकर 55 मिनट पर उन्होंने खुद से डिजाइन किया हुआ झारखण्ड राज्य का प्रतीक चिह्न भेजा था। उसके बाद प्रकाश इन्तजार करते रहे लेकिन कोई रिप्लाय नहीं आया। उन्हें कुछ नहीं बताया गया कि उनका डिजाइन किया गया प्रतीक चिह्न पसंद आया या नहीं ? प्रकाश के मुताबिक जब 23 जुलाई को कैबिनेट से पास हुए नए प्रतीक चिह्न की तस्वीर उन्होंने देखी तो उन्हें बेहद खुशी हुई कि सरकार ने उनके प्रतीक चिह्न को सेलेक्ट किया है, लेकिन उनकी खुशी तब मायूसी में तब्दील हो गई जब 15 अगस्त को नए प्रतीक चिह्न का इनोग्रेशन किया गया लेकिन उनका नाम तक नहीं लिया गया।
90 फीसदी से ज्यादा मिलता है प्रतीक चिह्न
प्रकाश के अनुसार उन्होंने 11 फरवरी को जो मेल किया था, उससे नए प्रतीक चिह्न का डिजाइन 90 प्रतिशत से अधिक मिलता है। द फॉलोअप ने भी जब पड़ताल की ये निकलकर सामने आया कि प्रकाश के डिजाइन प्रतीक चिह्न और सरकार द्वारा फाइनल किए गए प्रतीक चिह्न में दो मामूली बदलाव किये गए हैं। प्रकाश के डिजाइन किए गए प्रतीक चिह्न के बीच में साल का पेड़ इस्टैबलिश किया गया है और अशोक स्तंभ को नीचे रखा गया है। जबकि जो फाइनल प्रतीक चिह्न है, उसमें अशोक स्तम्भ को बीच में रखा गया है। इसके अलावे एक दूसरा बदलाव यह किया गया है कि अशोक स्तम्भ के ठीक चारों तरफ वाले घेरे में सिर्फ दो कोयल लगाया था लेकिन फाइनल प्रतीक चिह्न में डांस करते हुए छवि को दिखाया गया है।
झारखंड की पहचान है प्रतीक चिह्न
प्रतीक चिह्न के लोकार्पण के मौके पर 15 अगस्त को राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि यह राज्य की पहचान और स्वाभिमान से जुड़ा है। उन्होंने कहा था कि इसमें राज्य की संस्कृति, प्राकृतिक खनिज संपदा को समाहित किया गया है, जो अद्भुत है।’
प्रतीक चिह्न बदलाव का सारथी-सीएम
मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने कहा था कि ‘‘देश की आजादी में झारखण्ड के भूमि पुत्रों ने लंबा संघर्ष किया है। आजादी के बाद से नए भारत के नवनिर्माण में झारखण्ड महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उन्होंने कहा था कि आदिवासी बहुल राज्य सदैव सामूहिकता में यकीन रखता है। राज्य का नया प्रतीक चिह्न बदलाव का सारथी है। प्रतीक चिह्न झारखण्ड की भावना को प्रतिबिंबित करता है।
सरकार बताए मेरा नहीं तो किसने किया है डिजाइन ?
प्रतीक चिन्ह के डिजाइन पर अपना दावा करने वाले प्रकाश कहते हैं कि उन्होंने बहुत सोचकर यह डिजाइन तय किया था। दो मामूली बदलाव जो सरकार ने किया है, वो मेरे दिमाग में भी था लेकिन मैंने डांस वाली तस्वीर की जगह कोयल इसलिए लगाया था क्योंकि डांस से सिर्फ आदिवासी प्रतिबिंबित होते। प्रकाश महतो चाहते हैं कि सरकार उन्हें पुरस्कार की राशि दे या न दे, कम से कम उन्हें क्रेडिट जरूर दे। या नहीं तो सरकार बताए कि आखिर इस प्रतीक चिह्न को किसने डिजाइन किया है?
कौन हैं प्रकाश महतो ?
प्रकाश महतो जमशेदपुर के ईचागढ़ के रहने वाले हैं। आईएसएम धनबाद से एमटेक करने के बाद फ़िलहाल एनआईटी से पीएचडी कर रहे हैं। और साकची में एक दुकान भी चलाते हैं। प्रकाश के पिता खगेन्द्र महतो रिटायर्ड टीचर हैं।