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झारखंड की नई नियुक्ति नियामावली में सामान्य वर्गों के लिए फंसा पेच

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द फॉलोअप टीम, रांची:
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में कैबिनेट ने आज 27 प्रस्तावों पर मुहर लगाई। जिसमें कहा गया है कि अब सरकारी नौकरियों में झारखंड के ही युवाओं को प्राथमिकता दी जाएगी। कैबिनेट ने नयी नियुक्ति नियमावली को मंजूरी दे दी है। लेकिन इसमें कुछ पेच है, जिसका नुकसान सामान्य वर्ग के पढ़े-लिखे युवाओं को होगा। क्योंकि अब झारखंडी होने के बावजूद आरक्षण के दायरे से बाहर आने वाले अथ्यर्थियों के लिए दसवीं और 12वीं की पढ़ाई झारखंड से करना अनिवार्य होगा।

झारखंड से ही करना होगा 10 वीं-12 वीं पास
कार्मिक, प्रशासनिक सुधार तथा राजभाषा विभाग की झारखंड सचिवालय लिपिकीय सेवा नियमावली, 2010 को मंजूरी दी गई है। जिसके तहत झारखंड के मान्यता प्राप्त शैक्षणिक संस्थानों से 10वीं,12वीं/ इंटरमीडिएट उत्तीर्ण होना अनिवार्य होगा। इसमें आरक्षित वर्गों और अनुकंपा नियुक्ति में यह नियम शिथिल रहेगा। निम्न वर्गीय लिपिक नियुक्ति की न्यूनतम अहर्ता स्नातक होगी। लेकिन राज्य सरकार समय-समय पर होनेवाली सीमित विभागीय/प्रतियोगिता परीक्षा के आधार पर समूह “घ” से भरे जानेवाले निम्नवर्गीय लिपिक के 15 प्रतिशत पदों के संबंध में न्यूनतम अर्हता घटा सकती है।

नियम के संशोधन से इनको होगा नुकसान
झारखंड में फिलहाल एसटी के लिए 26 प्रतिशत, एससी के लिए 10 प्रतिशत तथा ओबीसी के लिए 14 प्रतिशत आरक्षण लागू है। इन सबके अलावा सामान्य् जाति के इकोनॉमिकली वीकर सेक्शन (ईडब्यूएस) के तहत आने लोगों को 10 प्रतिशत आरक्षण का लाभ मिलता है। लेकिन वैसे सामान्य् जाति के लोग जो ईडब्यूएस में नहीं आते और उनके बच्चे ने राज्य से बाहर जाकर दसवीं या बारहवीं की परीक्षा उत्ती्र्ण की है, तो वो झारखंड में नौकरी करने के लिए अयोग्य  हो जाएंगे। हालांकि यह संशोधन सरकार के गजट प्रकाशन की तिथि से मान्य होगा। लेकिन इसकी चर्चा हर जुबान पर हो रही है।