द फॉलोअप टीम, दिल्ली
सिने स्टार सुशांत सिंह राजपूत की मौत का मामला हर किसी को पता होगा। सुशांत की मौत के साथ ही कई सवाल उठने लगे थे। टीवी चैनलों से लेकर सोशल मीडिया पर इंसाफ की मांग को लेकर आवाज उठती रही लेकिन एक दर्शक और पाठक होने के नाते क्या आपको पता चला कि सुशांत सिंह राजपूत मामले में क्या हुआ? इतने हो-हल्ले के बाद भी क्या इस केस का कोई नतीजा निकला? या फिर जाँच के नाम पर जनता के सिर्फ करोड़ों रुपये खर्च हुए? दूसरा सवाल पेज-थ्री से लेकर आम चौपाल की बैठकों में यह भी गूंज रहा है कि सुशांत मामले में जिस तरह की सक्रियता जांच एजेंसियों ने दिखाई, उसके पीछे का राज आखिर क्या है। जबकि आम ऐसी घटनाओं में पीड़िता की चीख सन्नाटे में गुम हो जाती है। आज द फॉलोअप में हम इसी स्टोरी का फॉलोअप करेंगे।
14 जून को सुशांत का शव फंदे में झूलता मिला था
सुशांत सिंह राजपूत की मौत मुंबई में 14 जून को हुई थी। सुशांत सिंह राजपूत (34 वर्ष) का शव मुंबई के बांद्रा स्थित उनके अपार्टमेंट में छत के पंखे से लटका मिला। मुंबई पुलिस ने आकस्मिक मौत का कारण पता करने के लिए सीआरपीसी के तहत जांच शुरू की। 18 जून को सुशांत सिंह राजपूत की महिला मित्र और अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती ने इस मामले में मुंबई पुलिस के समक्ष बयान दर्ज कराया। उसके बाद फ़िल्मकार संजय लीला भंसाली और आदित्य चोपड़ा ने मुंबई पुलिस के समक्ष अपना बयान दर्ज कराया।
25 जुलाई को सुशांत के पिता ने रिया और उनके परिवार के खिलाफ मामला दर्ज कराया
सुशांत सिंह राजपूत के पिता के. के. सिंह ने अपने बेटे को आत्महत्या के लिये उकसाने समेत कई आरोपों के तहत पटना में रिया चक्रवर्ती और उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ मामला दर्ज कराया। 29 जुलाई को रिया चक्रवर्ती प्राथमिकी को पटना से मुंबई स्थानांतरित कराने के लिए उच्चतम न्यायालय पहुंचीं।
4 अगस्त को बिहार के सीएम नीतीश ने सीबीआई से जांच कराने की सिफारिश की
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 4 अगस्त को कहा कि उनकी सरकार मामले की सीबीआई जांच की सिफारिश करती है। मुंबई पुलिस आयुक्त ने बताया कि इस मामले में कुल 54 लोगों ने बयान दर्ज कराए हैं। 6 अगस्त को सीबीआई ने कहा कि उसने मामले में प्राथमिकी दर्ज की है।
जांच तो सबने की, पर उजागर क्या हुआ
सुशांत ने आत्मकहत्याी की थी या स्वाकभाविक मौत उनकी जिंदगी खत्मघ हुई। घटना 14 जून की थी। अगर पुलिस की बात करें, तो उसने कुछ ही दिनों में इसे आत्महत्या कह दिया था। कई फिल्मकारों से पूछताछ भी की थी। उससे कुछ जबकि उजागर हुआ नहीं। शोर मचने के बाद सीबीआई जांच के लिए मामला सौंप दिया गया। इसके अलावा प्रवर्तन निदेशालय और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने भी इस मामले में अपनी जांच शुरू कर दी।
चार एजेंसी ने 6 महीने तक की जांच
6 महीनों में मुंबई पुलिस समेत चार जांच एजेंसियों ने गहन जांच की, पर नतीजा कुल मिलाकर वही रहा, जो मुंबई पुलिस शुरुआती दौर में कह रही थी यानी अभी तक की जांच के दौरान सीबीआई का भी अनाधिकारिक मानना है कि यह मौत केवल आत्महत्या ही थी। जांच का नतीजा भले ही शून्य रहा हो लेकिन 4 एजेंसियों के छह माही जांच में जनता के टैक्स का करोड़ों रुपया स्वाहा तो हो ही गया।
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कहां और किस तरह खर्च हुए करोड़ों रुपये
इस हाई प्रोफाइल मामले की जांच में मुंबई पुलिस के 4 दर्जन से ज्यादा अधिकारी और कर्मचारी 2 महीने तक लगे रहे। वहीं प्रवर्तन निदेशालय के एक दर्जन से ज्यादा अधिकारी और कर्मचारियों ने भी अपना समय लगाया। सीबीआई के लगभग 50 अधिकारी और कर्मचारी इसकी शुरुआती जांच में लगातार सक्रिय रहे और इसके लिए बाकायदा एक विशेष टीम दिल्ली से मुंबई भेजी गई थी।
जांच के नाम पर जोड़ा जाए तो 5 करोड़ हुए हवा
नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने जब मामले की जांच शुरू कर दी और उसकी एक विशेष जांच टीम लगातार दिल्ली से मुंबई और मुंबई से दिल्ली हवाई जहाज से आती-जाती रही। अब इस जांच में शामिल सभी अधिकारियों और कर्मचारियों का वेतन, खाना-पीना और यात्रा भत्ताी जोड़ लिया जाए खर्च का आंकड़ा 5 करोड़ रुपये से कम नहीं होगा।