राज्य सरकार ने सोमवार से 10वीं और 12वीं के बच्चों के लिए स्कूल खोलने का निर्देश दे दिया है। लेकिन स्कूल के बच्चों से बड़े बच्चों के लिए कोचिंग खुलने को लेकर अभी तक कोई आदेश नहीं आया है। 10वीं और 12वीं की बोर्ड की परीक्षा जरूरी है, तो नौकरी की तैयारी कर रहे लोगों कते लिए भी उनकी परीक्षाएं जरूरी है।
द फाॅलोअप टीम, रांची
राज्य के 10 हजार से अधिक कोचिंग सेंटर और उनमें पढ़ रहे लाखों बच्चे कई दिनों से कोचिंग खुलने का इंतजार कर रहे हैं। झारखंड सराकर ने स्कूल खुलने को लेकर आदेश तो जारी कर दिया है, लेकिन कोचिंग को लेकर अभी तक कुछ नहीं कहा गया है। जबकि कोचिंग सेंटरों में स्कूल के मुकाबले बड़े बच्चे पढ़ते हैं। इनमें से कुछ तो नौकरी की तैयारी करने को आते हैं। स्कूल खुलने के आदेश के साथ ही कोचिंग संचालकों की नजरें भी सरकार पर टिक गई हैं। लेकिन अभी तक सरकार इस दिशा में कुछ भी नहीं बोल रही है।
10वीं और 12वीं के बच्चों के स्कूल खोलने के पीछे का तर्क उनकी बोर्ड की परीक्षाएं हैं। इसपर कोचिंग संचालकों का कहना है कि 10वीं या 12वीं का परीक्षाएं बिल्कुल जरूरी हैं, इसके लिए तैयारी भी जरूरी है। लेकिन जो लोग नौकरी की तैयारी कर रहे हैं, उनके बारे में भी सोंचा जाना चाहिए। उनके प्रति भी सरकार की जिम्मेवारी है।
अपनी मांग को लेकर प्रधान सचिव से मिल चुके हैं कोचिंग संचालक
अमेरिकन कोचिंग इंस्टीट्यूट के निदेशक राकेश ने जानकारी दी कि कोचिंग संचालक अपनी मांगों को लेकर वे प्रधान सचिव सुखदेव सिंह से मिल चुके हैं। प्रधान सचिव ने आश्वासन दिया कि वे इस मसले पर मुख्यमंत्री से बात करेंगे। लेकिन अभी तक कोई निर्देश जारी नहीं हो सका है। इसके अलावा कोचिंग संचालक कई अन्य पदाधिकारियों से भी मिल चुके हैं। अपदा प्रबंधन विभाग में ज्ञापन देकर कोचिंग संचालकों ने सहयोग की भी मांग की थी। लेकिन उसका भी कोई जवाब नहीं आया। संचालकों ने मुख्यमंत्री से भी मुलाकात की है।
क्यों खुलने चाहिए कोचिंग
- कोचिंग में स्कूलों से बड़े बच्चे पढ़ते हैं, वे अपना बेहतर खयाल रख सकते हैं।
- कोचिंग संस्थान सभी सरकारी निर्देशों का पालन करने को तैयार हैं।
- राज्य में सभी चीजें सामान्य हैं, रैलियां हो रही हैं, जलसे हो रहे हैं, राजनीतिक कार्यक्रम भी हो रहे हैं।
- कोचिंग पर निर्भर लोगों के बीच आर्थिक समस्याएं चरम पर है।
क्या आ रही हैं समस्याएं
- कोचिंग में नए नामांकन नहीं हो रहे हैं, ऑनलाइन क्लास के माध्यम से नॉन-टीचिंग स्टाफ को पैसे देना संभव नहीं हो रहा है।
- मकान का किराया नहीं देने पर कई कोचिंग संस्थान खाली करा दिए गए हैं।
- कई कोचिंग संस्थानों पर मकान मालिकों ने अपना ताला जड़ दिया है।
- बिजली बिल और नगर निगम के टैक्स में कोई रियायत नहीं है।
- कोचिंग में काम कर रहे कई लोगों की नौकरियां चली गई हैं।
- विकल्प के तौर पर शिक्षक पर्सनल ट्यूशन शुरू कर रहे हैं। ऐसे में जिन शिक्षकों के नाम पर बच्चों ने एडमिशन लिया था, वे उस शिक्षक के नहीं आने पर विरोध कर सकते हैं।
क्या कहते हैं आंकड़े
राज्य भर में हजारों कोचिंग संस्थान चलते हैं। इनमें से 550 संस्थान झारखंड कोचिंग एसोसिएशन के अंतर्गत आते हैं। केवल रांची में 300 से अधिक छोटे बड़े कोचिंग चलते हैं। इनमें औसतन 250 बच्चे पढ़ते हैं। यानी सिर्फ रांची में कम से कम 7500 हजार बच्चे कोचिंग में पढ़ाई कर रहे हैं। इनमें से लगभग सभी लोग हॉस्टल में रहते हैं। कोचिंग नहीं खुलने के कारण उन हॉस्टलों को भी कई प्रकार की परेशानियां उठानी पड़ रही हैं।
अन्य पड़ोसी राज्यों में खुल चुके हैं कोचिंग
झारखंड कोचिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष सुनील जायसवाल ने बताया कि झारखंड के पड़ोसी राज्यों में कोचिंग संस्थानों को खोल दिया गया है। मध्य प्रदेश औऱ उत्तर प्रदेश में कोचिंग चल रहे हैं। बिहार में 4 जनवरी से कोचिंग शुरू होने की घोषणा कर दी गई है। ऐसे में केवल झारखंड में ही कोचिंग खुलने को लेकर कोई निर्देश नहीं आया है।