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5 करोड़ में बदलेगी क़रीब 2 लाख आदिम जनजातियों की सूरत

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द फॉलोअप टीम, रांची
प्रकृति के संग जीने का हुनर आदिवासी जानते हैं। लेकिन राज्य की 32 जनजातियों में से कुछ समुदाय अब पढ़-लिखकर विकास की मुख्य धारा में शामिल होने का प्रयास ज़रूर कर रहा है। लेकिन 8 आदिम जनजातियां अभी मूलभूत नागरिक सुविधाओं के लिए भी तरस रही हैं। जिनकी आबादी सूबे में 2. 03 लाख के क़रीब है। इनके विकास के दावे हर सरकार करती रही है। फंड भी घोषित होते रहे हैं। पर ज़मीनी हक़ीक़त यह है कि यह आज भी जंगलों में जंगली वनोपज के सहारे ज़िंदा हैं। लेकिन ताज़ा सूचना है कि कल्याण विभाग ने इनकी सूरत बदलने की दिशा में कोशिशें जारी की हैं। सरकार चाहती है कि आदिम जनजातियों के गांव में भी बिजली हो। इसके वर्ष 2020-21 के लिए 5 करोड़ मंज़ूर हुए हैं।  अनुसूचित जनजाति के पीवीटीजी गांव बाहुल्य योजना के तहत एक करोड़ रुपए और जनजातीय क्षेत्रीय उपयोजना के अंतर्गत 4 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है। इससे गांवों का विकास होगा और वंचितों को राहत मिलेगी।

हर जिले से मांगा गया है प्रोपोजल
आदिवासी कल्याण आयुक्त  हर्ष मंगला ने राज्य के ज़िले के डीसी को चिठ्ठी भेजकर विकास को धरातल पर उतारने के लिए आदिम जनजातियों के ग्रामोत्थान योजना से संबंधित कार्ययोजना पर प्रस्ताव मांगा है। ग्रामसभा के माध्यम से विकास कार्य किये जाएंगे। वहीं डीसी की अध्यक्षता में एक निगरानी कमेटी बनाई गई है। जिसमें आईटीडीए के परियोजना निदेशक सदस्य सचिव जबकि डीडीसी, बीडब्ल्यूओ और बीडीओ सदस्य शामिल हैं।



बनेंगे घर, मिलेगा शुद्ध पानी और सुधरेंगे अस्पताल, रौशन होंगी गलियां
योजना से आदिम जनजाति परिवार को आवास, पेयजल, पेंशन,  सोलर स्ट्रीट लाइट, तालाब और आंगनबाड़ी का लाभ मिलेगा। क्षेत्र में यदि स्वास्थ्य केंद्र है तो उसकी मरम्मत की जाएगी। बिरसा आवास या ग्रामीण विकास विभाग द्वारा संचालित पीएम आवास योजना के तहत हर वंचित परिवार के लिए आवास का निर्माण किया जाएगा।

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झारखंड में आदिम जनजाति की आबादी
* माल पहाड़िया 1,35,797
* सौरिया पहाड़िया 46,222
* कोरवा 35,606
* परहैया 25,585
* असुर 22,459
* बिरहोर 10,736
* सबर 9,688
* बृजिया 6,276

कुल 2,92,369