गुंटूर:
इन दिनों भारत में जिन्ना टॉवर सुर्खियों में है। जारी विवाद के बीच पूरे जिन्ना टॉवर को तिरंगे रंग में रंग दिया गया है। इस बीच सूचना मिल रही है कि वाईएसआर कांग्रेस गुंटूर में जिन्ना टॉवर में तिरंगा फहराएगी। गुंटूर ईस्ट से विधायक मोहम्मद मुस्तफा का कहना है कि हिंदू और मुसलमान यहां बहुत शांति से रहते हैं। हम यहां संदेश देने आए हैं कि हम सभी एकजुट हैं। विधायक मोहम्मद मुस्तफा ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी इस मुद्दे को अनावश्यक रूप से उठाने की कोशिश कर रही है।
26 जनवरी को सुर्खियों में आया जिन्ना टॉवर
गौरतलब है कि 26 जनवरी को ये टॉवर अचानक से उस समय सुर्खियों में आ गया था जब हिंदू वाहिनी के कार्यकर्ताओं ने यहां तिरंगा फहराने की कोशिश की थी। कहा जा रहा है कि अब टॉवर के करीब तिरंगा फहराया जायेगा। जिस जिन्ना टॉवर को लेकर इतना विवाद है आखिर उसका इतिहास क्या है। भारत में आखिर जिन्ना टॉवर का औचित्य क्या है। इसे किसने बनवाया था। इन तमाम सवालों का जवाब यहां स्टोरी में देने का प्रयास किया जायेगा। चलिए जानते हैं।
आंध्र प्रदेश के गुंटूर शहर में अवस्थित है टॉवर
गौरतलब है कि जिन्ना टॉवर आंध्रप्रदेश के गुंटूर शहर में अवस्थित है। जिस रोड पर ये टॉवर बनवाया गया है उस रोड का नाम महात्मा गांधी के नाम पर है। स्थानीय लोगों का मानना है कि ये हिंदू-मुस्लिम एकता और भारत तथा पाकिस्तान के बीच सौहार्द का प्रतीका है। इस टॉवर को औपनिवेशिक काल में स्थानीय मुस्लिम नेता लालजन बाशा ने बनवाया था। कहा जाता है कि जब पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री मोहम्मद अली जिन्ना के प्रतिनिधि लियाकत अली खान ने गुंटूर शहर का दौरा किया था, उसी के बाद इस टॉवर का निर्माण करवाया गया था।
भारत की आजादी के बाद इसका नाम बदलने की मांग की जाती रही। 1966 में प्रस्ताव दिया गया कि टॉवर का नाम बदलकर जिन्ना मीनार कर दिया जाये लेकिन निगम ने इसे रिजेक्ट कर दिया।
जिन्ना टॉवर विवाद पर स्थानीय विधायक की टिप्पणी
अब इस पूरे विवाद पर गुंटूर ईस्ट के विधायक मोहम्मद मुस्तफा का कहना है कि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान मुस्लिम नेताओं ने भी भी अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। आजादी के बाद कुछ मुस्लिम भारत छोड़कर पाकिस्तान में बस गये। उन्होंने कहा कि हम भारतीयों के रूप में अपने देश में रहना चाहते हैं। हम अपनी मातृभूमि से प्यार करते हैं। बीजेपी बेवजह विवाद को तूल दे रही है।