logo

आदिवासी एकता महारैली : बीजेपी, आरएसएस और केंद्र की आदिवासी विरोधी नीतियों के खिलाफ उठी आवाज 

MAHARAILI.jpeg

रांची 

रांची के मोरहाबादी मैदान में आदिवासी एकता महारैली (Tribal Unity Maharally) की शुरुआत हो गयी है। इसमें बीजेपी, आरएसएस और केंद्र की आदिवासी विरोधी नीतियों के खिलाफ आवाज उठायी गयी। महारैली में सभी समूहों के आदिवासियों और उनके संगठनों का जुटान हुआ है। आज की महारैली आरएसएस के जनजाति सुरक्षा मंच की ओर से हाल में आयोजित डीलिस्टिंग महारैली के जवाब में हो रही है। इसमें प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की, कांग्रेस नेता प्रदीप बालमुचू, सामाजिक कार्यकर्ता दयामणि बारला, रतन तिर्की, प्रभाकर तिर्की, गेलेंडसन डुंगडुंग, जगदीश लोहार केंद्रीय सेवा समिति के अध्यक्ष अजय तिर्की, लक्ष्मी नारायण मुंडा, वासवी, कुंदरसी मुंडा सहित पूरे राज्य से हजारों की संख्या में लोग शिरकत कर रहे हैं। 

क्यों है आदिवासियों में आक्रोश 
बता दें कि राज्य के आदिवासियों ने केंद्र, आरएसएस और बीजेपी पर कई आरोप लगाये है। आदिवासी नेताओं का कहना है कि सरना कोड, पांचवी अनुसूची आदि के साथ केंद्र सौतेला व्यवहार कर रहा है। वित्तीय वर्ष 2024-25 के बजट में आदिवासियों की उपयोजना राशि (ट्राइबल सब प्लान) में कटौती की गयी है। ये सब आदिवासियों के हित और झारखंड के साथ खिलवाड़ है। इसे किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। इस संबंध में कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की ने कहा कि तिर्की ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उसके अधीनस्थ संगठनों द्वारा आदिवासियों को बांटने की कोशिश हो रही है। इसके लिए जमीन-आसमान एक कर दिया गया है। लेकिन उन्हें इसमें कोई भी सफलता नहीं मिलेगी। क्योंकि आदिवासी बिना किसी मतभेद के एकजुट हैं और उन्हें दुनिया की कोई शक्ति अलग नहीं कर सकती।

महारैली में उठाये गये मुख्य मुद्द-  

1.    युनिफॉर्म सिविल कोड कानून का विरोध करते हुए कहा गया है कि ये कानून आदिवासी विरोधी है। आदिवासी समुदाय के संवैधानिक हक अधिकारों को खत्म करने वाला कानून है। इसे लागू नहीं होने दिया जायेग। 

2.    महारैली के जरिये प्रकृति पूजक आदिवासी समुदाय के लिए अलग धर्म कोड की मांग को दोहराया गया है। 
बीजेपी की डिलिसटिंग पॉलिसी के नाम पर आदिवासी समाज को लडाने की जो साजिश हो रही है, उसे बंद किया जाये। 
3.    देशभर में आदिवासी समुदाय के सभी धार्मिक, सामुदायिक, सामाजिक जमीन की पहचान कर उनके दस्तावेज तैयार किये जायें। 

4.    झारखंड में सीएनटी एक्ट एसपीपी एक्ट भूमि जारी हस्तक्षेप को बंद किया जाये। 

5.    झारखंझ में जल्द से जल्द पेशा कानून लागू करने की मांग। 
6.    कई संगठनों ने कहा है कि झारखंड में आदिवासियों की आबादी लगातार घट रही है। इसके खिलाफ योजना बनाई जाये। 
7.    देशभर के आदिवासियों के हो रहे विस्थापन को रोकने के लिए नीति बनाई जाये।