द फॉलोअप डेस्क
उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले में एक नाबालिग लड़के ने ऐसा काम कर दिखाया, जिसने हर देखने वाले की आंखें नम कर दीं। नसीराबाद थाना क्षेत्र के पूरे छेदी गांव में जब उसके बड़े भाई को गंभीर रूप से घायल कर दिया गया, तो एंबुलेंस या कोई वाहन न मिलने पर इस छोटे भाई ने इंसानियत और भाईचारे की मिसाल कायम कर दी। घटना के अनुसार, घायल युवक पर किसी ने लाठी-डंडों से हमला किया था, जिससे वह बुरी तरह ज़ख्मी हो गया। शरीर से खून बह रहा था, हालत बेहद नाज़ुक थी। ऐसे में छोटे भाई ने हालात का रोना नहीं रोया, बल्कि अपनी हैसियत और हिम्मत के दायरे में जो सबसे बेहतर कर सकता था—वह किया। उसने गांव में मौजूद एक ठेला लिया, भाई को उस पर लिटाया और अकेले ही अस्पताल की ओर चल पड़ा।
गांव की कच्ची-पक्की गलियों से गुजरता ये छोटा लड़का, ठेले पर पड़े अपने लहूलुहान भाई को सावधानी से पकड़कर आगे बढ़ता रहा। उसे इस बात की परवाह नहीं थी कि लोग क्या सोचेंगे या मदद क्यों नहीं मिली—उसकी आंखों में सिर्फ एक ही मकसद था: भाई की जान बचानी है। यह दृश्य न केवल मार्मिक था, बल्कि प्रशासन और स्वास्थ्य व्यवस्था पर एक सीधा सवाल भी था—जब एक ज़ख्मी को फौरन इलाज की ज़रूरत हो और अस्पताल किलोमीटरों दूर हो, तो क्या एक मासूम बच्चे को ये जिम्मेदारी उठानी चाहिए?
गनीमत रही कि लड़के की कोशिश रंग लाई। अस्पताल पहुंचने के बाद घायल युवक को प्राथमिक उपचार मिला और हालत स्थिर बताई जा रही है। इस पूरी घटना में एक चीज़ सबसे ज़्यादा चमकी—भाई के प्रति उस बच्चे का प्यार, उसकी ज़िम्मेदारी और वो साहस, जो शायद बड़े-बड़े लोग भी नहीं दिखा पाते। ये सिर्फ़ एक खबर नहीं, एक आईना है जिसमें समाज, व्यवस्था और मानवता तीनों का चेहरा नज़र आता है।