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दिल्ली : सीबीआई द्वारा गिरफ्तारी से संबंधित मामले में SC की टिप्पणी, कहा - लोकतंत्र में ये धारणा ना बने कि यह एक पुलिस राज्य है

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डेस्क:
सीबीआई(CBI) द्वारा एक व्यक्ति की गिरफ्तारी से संबंधित मामले में Supreme court ने सख्त टिप्पणी की है। वही यूपी(UP) के सीतापुर(Sitapur) में Alt news (ऑल्ट न्यूज़) के सह-संस्थापक फैक्ट-चेकर मोहम्मद जुबैर पर दर्ज FIR को रद्द कर जमानत याचिका पर सुनवाई शुरू की है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़(Justice DY chandra chura) और जस्टिस एएस बोपन्ना(Justice AS boppana) की बेंच मामले की सुनवाई कर रही है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने उनके खिलाफ उत्तर प्रदेश के सीतापुर में धार्मिक भावनाओं को आहत करने के एक मामले में पांच दिन की अंतरिम जमानत दे दी थी। दूसरी तरफ जेल (Jail) नहीं बेल (Bail) नियमों पर सुप्रीम कोर्ट सख्त हो गया है। एक ऐतिहासिक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने  ग़ैरज़रूरी गिरफ्तारी और रिमांड पर सवाल उठाए। सुप्रीम कोर्ट ने जमानत देने के लिए नए कानून की वकालत की। यह मामला सीबीआई द्वारा एक व्यक्ति की गिरफ्तारी से जुड़ा है।

 
 
केंद्र बनाये विशेष कानून 
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से ‘बेल एक्ट' की तर्ज़ पर कोई विशेष कानून बनाने पर विचार करने को कहा है। कोर्ट ने केंद्र और हाईकोर्ट से चार महीने में स्टेटस रिपोर्ट मांगी है। जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमएम सुंदरेश की पीठ द्वारा दिए गए फैसले में कहा गया है कि लोकतंत्र में ये धारणा ना बने कि यह एक पुलिस राज्य है। 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, गैर जरूरी गिरफ्तारियों के कारण होती है समस्याएं 
भारत की जेलों में विचाराधीन कैदियों की बाढ़ आ गई है। कोर्ट ने कहा कि हमारे सामने रखे गए आंकड़े बताते हैं कि जेलों में 2/3 से अधिक कैदी, विचाराधीन कैदी हैं। इस श्रेणी के कैदियों में से अधिकांश को गिरफ्तार करने की भी जरूरत नहीं। जिन पर सात साल या उससे कम के लिए दंडनीय अपराधों का आरोप लगाया गया है, वे न केवल गरीब और निरक्षर हैं, बल्कि इसमें महिलाएं भी शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ज्यादातार गैरजरूरी गिरफ्तारी के कारण समस्या होती है। कोर्ट ने गिरफ्तारी को कठोरतम उपाय बताया।