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Election : बीजेपी और शिवसेना में कौन ज्यादा हिंदूवादी पार्टी, उद्धव ठाकरे के किस बयान से मचा बवाल!

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मुंबई: 

यूपी सहित कई राज्यों में विधानसभा चुनाव है। सियासी पिच पर सब अपने-अपने तरीके से खेल रहे हैं। आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। विवाद इस विषय पर नहीं है कि कौन कितना ज्यादा विकास कर सकता है बल्कि राजनीतिक दल खुद को एक दूसरे से ज्यादा दलित, पिछड़ा या हिंदू अथवा मुस्लिम साबित करने की होड़ में लगे हैं। ताजा विवाद भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना के बीच है। शिवसेना ने यूपी के चुनावी मैदान में उतरने का फैसला किया है। 

हमने भारतीय जनता पार्टी का समर्थन किया! 
उद्धव ठाकरे ने सोमवार को कहा है कि हम वहीं हैं जिन्होंने भारतीय जनता पार्टी का समर्थन किया। हमारा 25 साल तक गठबंधन था। उद्धव ठाकरे ने कहा कि बीजेपी ने सत्ता के लिए हिंदुत्व का इस्तेमाल किया। उन्होंने कहा कि हमने बीजेपी छोड़ी लेकिन हिंदुत्व नहीं छोड़ा। बीजेपी हिंदुत्व नहीं है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने कहा कि जब हमने उन्हें चुनौती दी तो हमारे खिलाफ रणनीति का इस्तेमाल किया। यूपी चुनाव में शिवसेना की दस्तक ने बीजेपी की चिंता बढ़ा दी है। 

महाराणा प्रताप की प्रतिमा का अनावरण किया
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने 23 जनवरी को महाराणा प्रताप चौक (मझगांव) में महाराणा प्रताप की घुड़सवार प्रतिमा का अनावरण किया था। इस कार्यक्रम में उनके बेटे और राज्य मंत्री आदित्य ठाकरे, मुंबई की मेयर किशोर पेडनेकर तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुये थे। गौरतलब है कि बीते विधानसभा चुनाव में बीजेपी और शिवसेना के बीच सीएम पद को लेकर ठन गई थी। बाद में शिवसेना ने कांग्रेस और एनसीपी के समर्थन से सरकार बना ली। तब से ही दोनों पार्टियों के बीच काफी तल्खी है, जो बयानों में दिखती है। 

उद्धव ठाकरे के बयान पर बीजेपी का पलटवार
इस बीच बीजेपी पर हिंदुत्व को लेकर उद्धव ठाकरे द्वारा किए गये हमले का महाराष्ट्र के वरिष्ठ बीजेपी नेता राम कदम ने बयान दिया है। उन्होंने कहा कि हिंदुत्व पर व्याख्यान देने से पहले उद्धव ठाकरे को आत्मनिरीक्षण करना चाहिए। उनको सोचना चाहिए कि क्या शिवसेना दिवंगत बाल ठाकरे की विचारधारा का पालन कर रही है। दिवंगत बाल ठाकरे ने कहा था कि राजनीति और जीवन में उनकी पार्टी की कांग्रेस में शामिल नहीं होगी। यदि ऐसी परिस्थिति आती है तो वो लॉकिंग पार्टी को पसंद करेंगे, यानी की कार्यालय बंद कर देंगे। उद्धव ठाकरे ने इसका अपमान किया।