द फॉलोअप डेस्क
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में संगम तट पर लगा आस्था का मेला महाकुंभ, करोड़ों सनातनियों के लिए विश्वास का केंद्र बना हुआ है। 144 साल बाद लगा महाकुंभ भक्तों और समाजसेवियों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। इसी बीच इंफोसिस फाउंडेशन की पूर्व अध्यक्ष, समाजसेवा के क्षेत्र में पद्मश्री और पद्मभूषण से सम्मानित और राज्यसभा सांसद सुधा मूर्ति ने महाकुंभ के पवित्र अवसर पर पुण्य की डुबकी लगाने के लिए 3 दिन का समय निकाला है।
हिंदुस्तान में छपी रिपोर्ट के अनुसार, सुधा मूर्ति ने बताया कि यह मेरी पहली बार यात्रा है। तीर्थराज प्रयाग हजारों सालों से सनातन आस्था का केंद्र रहा है, यहां मां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती का त्रिवेणी संगम है। इसके महत्व के बारे में मुझे हमेशा से सुनने का मौका मिला था। लेकिन जब ऐसा अवसर आया तो मैं इस पवित्र भूमि पर आयी। मैंने 20 जनवरी को संगम में स्नान किया और अद्भुत ऊर्जा महसूस की। फिर 21 जनवरी को दो बार स्नान किया। अब 22 जनवरी को लौटने से पहले फिर से संगम में स्नान करने का संकल्प लिया है।
महाकुंभ में आने का कारण बताया
इस दौरान सुधा मूर्ति ने बताया कि यह यात्रा मेरे नाना-नानी के सपने को पूरा करने के लिए है। वे महाकुंभ में स्नान करने का सपना देखते थे, लेकिन 50 साल पहले सुविधा का अभाव था। ऐसे में वे आ नहीं सके। मैंने भी 10 साल पहले इस यात्रा का मन बनाया था। अब ईश्वर की कृपा से न केवल उनका, बल्कि मेरा भी सपना पूरा हो गया है। उन्होंने कहा कि हम नाना-नानी और दादा-नानी के नाम का तर्पण भी करेंगे।महाकुंभ में देखी उत्तम व्यवस्थाएं
इसके साथ ही सुधा मूर्ति ने बताया कि महाकुंभ में उत्तम व्यवस्थाएं देखी। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने महाकुंभ की व्यवस्थाओं में विशेष ध्यान दिया है। यहां की सड़कों और लाइटिंग व्यवस्था अत्यधिक प्रभावशाली है। पूरे मेला क्षेत्र में यह अद्भुत व्यवस्था देखने को मिल रही है।
सामाजिक समरसता का प्रतीक है महाकुंभ
वहीं, सुधा मूर्ति ने महाकुंभ को सामाजिक समरसता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि यहां लोग बिना किसी आमंत्रण के आकर कल्पवास कर रहे हैं। सब कुछ मिलजुल कर हो रहा है, चाहे वह खानपान हो या रहन-सहन। यहां हर कोई, चाहे वह किसी भी पृष्ठभूमि का हो, भूखा नहीं रहेगा। शिविरों में जाकर लोग प्रसाद ग्रहण कर रहे हैं। सुधा ने कहा महाकुंभ आस्था का पर्व है।