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दिल्ली : 17 अक्टूबर को कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव संभव, गांधी परिवार से इतर किसी को मिल सकता है मौका

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दिल्ली: 

तमाम सियासी खींचतान के बीच लंबे समय से सियासी गलियारों में ये सवाल घूम रहा है कि आखिरकार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष का चुनाव कब होगा। अब कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव से जुड़ी बड़ी खबर सामने आ रही है। सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक 17 अक्टूबर को अध्यक्ष पद के लिए चुनाव होंगे। ये भी बताया जा रहा है कि काउंटिंग 19 अक्टूबर को होगी। इसके साथ ही कांग्रेस को अगला अध्यक्ष मिल जाएगा। 

22 सितंबर को जारी होगी अधिसूचना!
हिंदी समाचार वेबसाइट प्रभात खबर की रिपोर्ट की मानें तो चुनाव की अधिसूचना 22 सितंबर को जारी हो सकती है। नामांकन की प्रक्रिया 24 सितंबर से शुरू होगी। नामांकन की आखिरी तारीख 30 सितंबर हो सकती है। बताया जाता है कि कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में चुनाव कार्यक्रम को मंजूरी दी गई है। हालांकि, कांग्रेस कार्यसमिति ने पिछली बार जिस कार्यक्रम को मंजूरी दी थी उसके मुताबिक 21 अगस्त से 20 सितंबर के बीच पार्टी अध्यक्ष का चुनाव संपन्न करा लेना था लेकिन विभिन्न कारणों से इसमें विलंब हुआ है। गौरतलब है कि अभी हाल ही में वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस से त्यागपत्र दे दिया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि पार्टी में सही निर्णय नहीं लिए जा रहे। 

सोनिया गांधी संभाल रही हैं कमान!
बता दें कि इस वक्त सोनिया गांधी पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष हैं। इससे पहले राहुल गांधी पार्टी के अध्यक्ष हुआ करते थे लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को मिली करारी हार के बाद उन्होंने हार की जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से त्यागपत्र दे दिया था। तब से सोनिया गांधी ही पार्टी की कमान संभालती नजर आ रही हैं। हालांकि, इस बीच कई वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी छोड़ी है। हालिया, पंजाब, यूपी, उत्तराखंड और त्रिपुरा में हुए विधानसभा चुनाव में पार्टी को करारी हार झेलनी पड़ी थी। 

गुलाम नबी आजाद ने लगाए गंभीर आरोप
गौरतलब है कि कांग्रेस में वरिष्ठ नेताओं का गुट जिसे जी-23 कहा जाता है, उन्होंने कई बार नेतृत्व पर सवाल उठाया है। पार्टी-संगठन में आमूल-चूल बदलावों की मांग की है। हाल में पार्टी छोड़ने वाले गुलाम नबी आजाद ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा था कि राहुल गांधी ने 2013 में जब से पार्टी की कमान संभाली तब से सब कुछ तबाह होना शुरू हो गया। सोनिया गांधी अहम फैसले नहीं लेतीं बल्कि राहुल गांधी के चाटुकार, पीए और बॉडीगार्ड तक पार्टी के फैसले लेते हैं।