डेस्क :
झारखड में 2000 बैच की IAS अधिकारी पूजा सिंघल खासी सुर्खियों में हैं। उन्होंने सबसे कम उम्र की IAS अधिकारी (21वर्ष 7 दिन ) होने के कारण अपना नाम लिम्का बुक ऑफ़ रिकॉर्डस में दर्ज़ करवाया था। फिलहाल पूजा सिंघल भ्रष्टाचार के मामले में सुर्खिया बटोर रही हैं। उन्हें कल ED की गिरफ्तारी के बाद निलंबित कर दिया गया। फिलहाल वे 5 दिनों के लिए प्रवर्तन निदेशालय की हिरासत में है और उन्हें होटवार के बिरसा मुंडा जेल में रखा गया है। निलंबन की अवधि में IAS अधिकारी पूजा सिंघल को जीवन निर्वाह भत्ता भी दिया जायेगा जो अधिकारी को मिलने वाली तनख्वाह से करीब आधा होता है।
IAS अधिकारी का कैसे होता है निलंबन
सवाल है एक आईएएस अधिकारी पर राज्य सरकार तबादले या निलंबन की कार्रवाई कैसे कर सकती है जबकि इनकी नियुक्ति राष्ट्रपति करते है। हम आपको बताते है कि कोई राज्य सरकार कैसे और किस तरह की कार्रवाई IAS अफसरों पर कर सकती है। संविधान में इसको लेकर क्या कानून है ?
पूरे राज्य में सबसे प्रभावशाली अधिकारी होता है IAS
IAS पूरे राज्य में सबसे ज्यादा प्रभावशाली अधिकारी होता है। जिले के हर विभाग पुलिस से लेकर स्वास्थ्य ,शिक्षा पर उसकी पकड़ होती है। केंद्र के मंत्रालयों में सारे सचिव भी IAS होते है। संघ लोक सेवा आयोग की ओर से आयोजित सिविल सेवा की परीक्षा से इनकी भर्ती की जाती है और इनकी नियुक्ति राष्ट्रपति करते हैं।
IAS को कौन कर सकता है बर्खास्त
जितनी कठिन परीक्षा एक IAS बनने के लिए होती है। उसी के अनुपात में IAS की बर्खास्तगी की प्रक्रिया होती है। IAS अधिकारी को बर्खास्त करने का अधिकार राज्य सरकार के पास नहीं होता। राज्य सरकार केवल उसका ट्रांसफर या निलंबन कर सकती है ,वो भी तय शर्तो के साथ। सरकार उसको भारतीय गजट में अधिसूचित करती है। इसलिए इन्हे गज़ेटेड अधिकारी भी कहा जाता है और इनके बर्खास्तगी की शक्ति केवल राष्ट्रपति के पास होती है।
राज्य सरकार निलंबन या तबादला कर सकती है
अधिकारियों का विभिन्न काडरों में आवंटन केंद्र सरकार द्वारा सम्बंधित राज्य सरकार के परामर्श से किया जाता है। एक काडर में बहाली के बाद काडर अधिकारियों का दूसरे काडर में तबादला केंद्र सम्बंधित राज्य सरकारों की सहमति से कर सकती है। राज्य सरकार काडर अधिकारियो को अपने अनुसार तबादला कर सकती है। राज्य के मुख़्यमंत्री के पास अधिकारी को सस्पेंड करने का अधिकार तो होता लेकिन, निलंबन के बाद उसका कारण काडर कंट्रोलिंग अथॉरिटी को भेजना होता है।
ऑथिरिटी फैसला लेगी की निलंबन का कारण उचित है या नहीं। अपने विवेक के अनुसार कारण उचित न पाए जाने पर अथॉरिटी निलंबन को रद्द भी कर सकती है। 2015 में केंद्र के बनाए नए नियम के मुताबिक़ अब किसी IAS या IPS अधिकारी को 1 सप्ताह से अधिक निलंबित नहीं रखा जा सकता है।
संविधान के अनुच्छेद 311 में क्या है जिक्र
संविधान के अनुच्छेद 311 में सिविल सेवा से सम्बंधित प्रावधानो की चर्चा है। इसमें सेवा नियम और IAS अधिकारी की बर्खास्तगी से जुड़े नियम मौजूद है। नियम के मुताबिक़ कोई भी व्यक्ति जो संघ की सिविल सेवा या अखिल भारतीय सेवा का या राज्य की सिविल सेवा का सदस्य होता है या राज्य के अधीन कोई सिविल पद धारण करता है। ऐसे में उसकी नियुक्ति करने वाले अथॉरिटी से अधीनस्थ कोई अधीनस्थ अथॉरिटी उसे पद से नहीं हटा सकती है। इन अधिकारियो को जांच में आरोप साबित होने के पश्चात पहले सुनवाई का उचित मौका दिया जाता है।उसके बाद ही इनकी निलंबन या बर्खास्तगी की जा सकती है।