द फॉलोअप डेस्क
आज अटारी बॉर्डर पर खासा गहमागहमी का माहौल देखने को मिला। पाकिस्तान लौटने की तय सीमा के अंतिम दिन, सैकड़ों पाकिस्तानी नागरिकों को अटारी गेटवे की ओर जाते हुए देखा गया। सुबह से ही लोग अपने सामान के साथ कतारों में खड़े नजर आए। भीड़ में बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग भी शामिल थे, जो वापसी की प्रक्रिया पूरी करने के लिए बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। इस बीच, सीमा के उस पार हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं। 26-27 अप्रैल की रात, पाकिस्तान सेना ने जम्मू-कश्मीर में टुटमारी गली और रामपुर सेक्टर के सामने बिना किसी उकसावे के छोटे हथियारों से गोलीबारी शुरू कर दी। सेना के सूत्रों के मुताबिक, भारतीय जवानों ने भी उचित प्रतिक्रिया दी और सीमित हथियारों से जवाबी कार्रवाई की।
वहीं, 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले, जिसमें 26 नागरिकों की जान गई थी, के बाद कश्मीर घाटी में तलाशी अभियान तेज कर दिया गया है। शनिवार को करीब छह घरों को संदिग्ध आतंकियों के ठिकाने मानते हुए नियंत्रित विस्फोटों के जरिए ध्वस्त कर दिया गया। साथ ही सौ से अधिक घरों की तलाशी ली गई और सैकड़ों स्थानीय लोगों को हिरासत में लिया गया। पहलगाम हमले को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ती निंदा के बीच लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े संगठन 'द रेजिस्टेंस फ्रंट' (TRF) ने हमले में अपनी भूमिका से इनकार किया है। शनिवार को एक कथित बयान में TRF ने कहा कि "पहलगाम की घटना में हमारा कोई हाथ नहीं है। हमें बदनाम करने के लिए यह झूठी कहानी गढ़ी गई है।"
इसी बीच, पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा मोहम्मद आसिफ ने न्यूयॉर्क टाइम्स को दिए एक इंटरव्यू में मांग की है कि जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में मारे गए 26 लोगों की घटना की अंतरराष्ट्रीय जांच होनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान इस जांच में सहयोग करने को तैयार है। आज अटारी बॉर्डर पर लौट रहे पाक नागरिकों के चेहरों पर हल्की चिंता और राहत दोनों का भाव नजर आ रहा था। बदलते हालात और सीमा पार बढ़ते तनाव ने इस वापसी को और भी अहम बना दिया है।