द फॉलोअप डेस्क
संसद का शीतकालीन सत्र 25 नवंबर से शुरू हो चुका है। इसमें सोमवार को सत्र के पहले ही दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने छात्रों के लिए वन नेशन वन सब्सक्रिप्शन योजना को हरी झंडी दे दी है। मिली जानकारी के अनुसार, वन नेशन वन सब्सक्रिप्शन योजना लागू होने से छात्रों को बड़ी मदद मिलेगी। इस योजना का अनुमानित खर्च लगभग 6,000 करोड़ रुपये बताया जा रहा है।
क्या है One Nation One Subscription योजना
बता दें कि सरकार की One Nation One Subscription योजना के अंतर्गत सभी विश्वविद्यालय अपने संसाधनों को शेयर करेंगे। साथ ही सरकार द्वारा सभी विश्व प्रसिद्ध जर्नल लाए जाएंगे और उनका सब्सक्रिप्शन लिया जाएगा। ये जर्नल देश के सभी शैक्षणिक संस्थानों को उपलब्ध कराया जाएगा। मिली जानकारी के मुताबिक, One Nation One Subscription योजना में लगभग 30 प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय जर्नल प्रकाशकों को शामिल किया गया है। सरकार की इस योजना का उद्देश्य है कि केंद्र सरकार, सभी राज्य सरकार और केंद्र सरकार के अनुसंधान एवं विकास संस्थानों द्वारा सभी उच्च शिक्षा संस्थानों के छात्रों, शिक्षकों और शोधकर्ताओं की अंतर्राष्ट्रीय विद्वानों के शोध लेखों और पत्रिका प्रकाशनों तक पहुंच हो। साथ ही सभी उच्च शिक्षा संस्थानों के छात्रों, शिक्षकों और शोधकर्ताओं को अंतर्राष्ट्रीय अनुसंधान लेखों और जर्नल प्रकाशनों तक देशव्यापी पहुंच मिलें।क्या होगा स्टूडेंट्स को फायदा
बताया जा रहा है कि वन नेशन वन सब्सक्रिप्शन योजना के माध्यम से स्टूडेंट्स को काफी फायदा होने वाला है। इस योजना के अंतर्गत स्टूडेंट्स को आसानी से अंतर्राष्ट्रीय जर्नल प्रकाशकों के शोध उपलब्ध कराए जाएंगे। वहीं, इस योजना में स्टूडेंट्स को डिजिटल प्रक्रिया के माध्यम से पत्रिकाओं तक पहुंच मिलेगी। इसमें पत्रिकाओं तक पहुंच पूरी तरह से डिजिटल प्रक्रिया के माध्यम से विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के एक स्वायत्त अंतर-विश्वविद्यालय केंद्र, सूचना और पुस्तकालय नेटवर्क (INFLIBNT) द्वारा समन्वित राष्ट्रीय सदस्यता के माध्यम से की जाएगी।
क्या है इस योजना की मुख्य बातें-
*वन नेशन वन सब्सक्रिप्शन योजना से सभी विषयों के 1.8 करोड़ छात्रों, शिक्षकों, शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों को लाभ होगा।
*इस योजना के तहत प्रकाशकों द्वारा प्रकाशित करीब 13,000 से अधिक ई-जर्नल्स 6,300 से अधिक सरकारी उच्च शिक्षा संस्थानों और केंद्र सरकार के अनुसंधान एवं विकास संस्थानों तक पहुंचाई जाएंगी।