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शोपियां : नाम पूछा और कश्मीरी पंडित भाइयों पर बरसा दी गोलियां, टार्गेट किलिंग में 1 की मौत

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शोपियां: 

जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) से फिर एकबार टार्गेट किलिंग (Target Killing) का घटना सामने आई है। इस बार भी कश्मीरी पंडितों (Kashmiri Pandit) को निशाना बनाया गया है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक दक्षिण कश्मीर के शोपियां (Shopian District) में आतंकवादियों ने 2 कश्मीरी पंडित भाइयों पर हमला किया। बताया जाता है कि आतंकियों ने पहले दोनों भाइयों से उनका नाम पूछा और फिर अंधाधुंध फायरिंग कर दी। फायरिंग में सुनील कुमार भट्ट की मौके पर ही मौत हो गई जबकि दूसरा भाई गंभीर रूप से घायल हो गया है। 

 

भाई के साथ बागान जा रहे थे सुनील भट्ट
आरंभिक जानकारी के मुताबिक घटना के समय सुनील भट्ट (Sunil Bhatt) अपने भाई के साथ अपने सेब के बागान में जा रहे थे। इसी दौरान रास्ते में आतंकियों ने उनको रोका और नाम पूछा। नाम बताते ही आतंकियों ने गोलियों की बौछार कर दी। टार्गेट किलिंग की इस घटना में कश्मीरी पंडित सुनील कुमार भट्ट की मौत हो गई। उनके भाई परतिंबर नाथ गंभीर रूप से घायल हो गये। 

बीजेपी नेता निर्मल सिंह ने निंदा की है
ये पूरी घटना शोपियां जिले के छोटेपोरा इलाके की है। भारतीय जनता पार्टी के नेता निर्मल सिंह (BJP Leader Nirmal Singh) ने घटना की निंदा की। कहा कि कश्मीर में एक बार फिर आतंकियों ने कायराना हरकत की है। सुनील कुमार भट्ट अपना काम कर रहे थे लेकिन आतंकियों ने ये नापाक हरकत की। उन्होंने कहा कि आतंकी चाहे जितनी भी कोशिश करे लें अपने मंसूबे में कामयाब नहीं होंगे। 

उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने जताई संवेदना
उप-राज्यपाल मनोज सिन्हा (Lieutenant Governor Manoj Sinha) ने घटना की निंदा करते हुए कहा कि इसके लिए जिम्मेदार आतंकवादियों को बख्शा नहीं जायेगा। आतंकियों को चुन-चुनकर मारा जायेगा। दूसरी ओर, इस घटना को लेकर एआईएमआईएम सुप्रीमो असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में उ-पराज्यपाल मनोज सिन्हा का प्रशासन पूरी तरह से फेल रहा है। धारा-370 हटा दी गई लेकिन कश्मीरी सुरक्षित नहीं हैं।

 

असदुद्दीन ओवैसी ने उपराज्यपाल पर साधा निशाना
गौरतलब है कि कुछ महीनों पहले भी घाटी में टार्गेट किलिंग की दर्जनभर से ज्यादा घटनाएं हुई थीं। उन घटनाओं में कई लोगों ने अपनी जान गंवाई। विशेष रूप से कश्मीरी पंडितों को निशाना बनाया गया। कुछ मामलों में सेना के जवानों, जम्मू-कश्मीर पुलिस के जवानों तथा प्रवासी श्रमिकों को भी निशाना बनाया गया। हालांकि, बीते 2 महीने से इसमें कमी आई थी।